Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 2
Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 659
________________ R 39 " भोत्ता भोण भो भोतव्यं " נל भुमइ सुन्लाइ भुवण भुवणे मुडी " भू FE " " 33 , 93 मुजरा है. कृ. (भोवतु ) भोगने के लिये; भुजयाहिं है. कृ. (भोक्तुम्) भोगने के लिये ४४१ । स. कृ. ( भुक्त्वा ) भोग करके; २७१ । सं. कृ. (मुक्त्या ) भोग करके; २१२ । हे. कृ. ( भोक्तुम् ) खाने के लिये; २१२ । अ. ( भोक्तव्यम् । खाना चाहिये; २१२ । बहुकखइसक बुभुक्षति) खाने की इच्छा करता है; ५ । 550 १६१ । " बहु सक. (उपभुक्तहै: भोति अफ. (भवति) वह होता है; वद मक. (भवति) वह होता है। हुवइ, भवइ अ. (भवति) वह होता है: " यदि अक (भवति) वह होता है. " दहुद, क. ( भवति " ג 42 are. ( मत घूमता है; फिरता है; क. (भ्रश्यते) गिरता है। भूलता है। होता है; भोमि बक. ( भवामि ) में होता है। 货 न. (भुवन) जगत्. लोक न. ( भुवने) संसार में; लोक में: स्त्री. (भूमि:) भूमि, पृथ्वी, जमीन, जगह, क्षेत्र, ३९५ । होदि अक . (भवति) वह होता है; २६९. मोदि अक (भवति) वह होता है, होउ अ. (भवतु ) होते, " होतु अफ. ( भवतु ) होंव, sta, दो re. ( भवथ) तुम होते हो, [ ५३ ] ४४१ | होsिs re. ( भविष्यति होगा; २६०१३ अ. (भवति) बह होता है; ६०, ६१, ३३०. ३४३, ३६२,३६७; इत्यादि । भ्रष्ट १७७ । २३५ । ४४१ होति अ. (भवति) दे होते हैं. हुन्ति प्रक. (मवन्ति ) में होते हैं, हवन्ति, हुवtन्त अक (भवन्ति ) ये होते हैं, होन्ति अक . ( भवन्ति ये होते हैं, २७९ । २७३, २७४, ३०२ । ३१८३१६ । ६०, २८७ १ हुवे अक . ( भविष्यति होगा, होज्ज अक (अभूत्, अभवत् बभूव) हुआ, २६९ । वह होता है, ६० । १ २६९ । ६१, ४२२ । ६१ । ६० । ४०६ । ४२० । १०७ । २६८ । ३२३, ३२० । ३७० । " " होम हूँ भक. ( भविष्यंति होंगे "" 31 " נו 31 35 " " ונ 27 #1 " 21 21 भो हुन्तो व.कृ ( भवन्) होता हुआ, हू वि. ( भूतम् ) हुआ हुआ, हुआ वि. भू. (भूता) हुए, हुआ बि. भू. ( भूता) हुए, (भूत) हुआ भूविशः होऊण, भोगं "2 ३८८ । ४१८ । दिनक. ( भविष्यति ) होगा, होगी, २७५, ३०२ । ६१ । ६४ । ३८४ । ३५१ । ओल} (भूत्वा) = होकर, २७१ । २४० । ६४ । ऊस. कृ. (वा) होकर, वि. ( श्रनुभूतम् ) अनुभव किया हुआ, परिभवद्द सक. (परिभवति । पराजय करता है, परिविवि (परिभूत) पराजित, तिरस्कृत, ४०१ । प्रभव अ. ( प्रभवति ) समर्थ होता है, ६० । पहुंचता ६० । पहुच च ३९० । पभषे ६३ । पहू वि. ( प्रभूतं ) पहुँचा हुआ, समर्थ हुआ ६४ । ६० । संभव अ. संभवति) सभावना होती है, सनावद सक. (संभावयति ) सम्भावना करता है, ३५ । संभाविद वि. (असभावित) संभावना नहीं किया " 37 भ्रंशू - t संसइ अक . ( भ्रश्यते) भ्रष्ट होता है, नष्ट होता है, १७७ । भ्रम् "1 पत्रभट्ट वि (प्रण्ट ) नष्ट हुआ, पतित हुआ, अन्ति स्त्री. (भान्तिः) भ्रम. मिथ्या ज्ञान, अंक. (प्रभवति) पहुंचता है, अक्र. ( प्रभवति) समर्थ होता है; हुआ; ६० । म. (भोः) अरे, ओ, २६३, २६४, २८५, ३०२ । पु. न. (भोगम् ) इन्द्रियों के विषय, विषय-सुख, ३८९ । ४३६ ॥ ३६० । ममइ सक ( भ्रमति) घूमता है, भ्रमण करता है, १६१, २३९ । भह सक. ( भ्रमति ) घूमता है, भ्रमण करता है, ४०१ । भ्रमन्ति सक. ( भ्रमन्ति) बे घूमते हैं. भ्रमण करते हैं, ४५२ ।

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