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भोत्ता
भोण
भो भोतव्यं
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נל
भुमइ
सुन्लाइ
भुवण
भुवणे
मुडी
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भू
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मुजरा है. कृ. (भोवतु ) भोगने के लिये; भुजयाहिं है. कृ. (भोक्तुम्) भोगने के लिये ४४१ ।
स. कृ. ( भुक्त्वा ) भोग करके;
२७१ ।
सं. कृ. (मुक्त्या ) भोग करके;
२१२ ।
हे. कृ. ( भोक्तुम् ) खाने के लिये;
२१२ ।
अ. ( भोक्तव्यम् । खाना चाहिये;
२१२ ।
बहुकखइसक बुभुक्षति) खाने की इच्छा करता है;
५ ।
550
१६१ ।
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बहु सक. (उपभुक्तहै:
भोति अफ. (भवति) वह होता है;
वद मक. (भवति) वह होता है।
हुवइ, भवइ अ. (भवति) वह होता है:
" यदि अक (भवति) वह होता है.
"
दहुद, क. ( भवति
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42
are. ( मत घूमता है; फिरता है; क. (भ्रश्यते) गिरता है। भूलता है। होता है;
भोमि बक. ( भवामि ) में होता है।
货
न. (भुवन) जगत्. लोक
न. ( भुवने) संसार में; लोक में:
स्त्री. (भूमि:) भूमि, पृथ्वी, जमीन, जगह, क्षेत्र,
३९५ ।
होदि अक . (भवति) वह होता है; २६९.
मोदि अक (भवति) वह होता है,
होउ
अ. (भवतु ) होते,
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होतु अफ. ( भवतु ) होंव,
sta, दो re. ( भवथ) तुम होते हो,
[ ५३ ]
४४१ | होsिs re. ( भविष्यति होगा;
२६०१३
अ. (भवति) बह होता है; ६०, ६१, ३३०. ३४३, ३६२,३६७;
इत्यादि ।
भ्रष्ट
१७७ ।
२३५ ।
४४१
होति अ. (भवति) दे होते हैं.
हुन्ति प्रक. (मवन्ति ) में होते हैं,
हवन्ति, हुवtन्त अक (भवन्ति ) ये होते हैं,
होन्ति अक . ( भवन्ति ये होते हैं,
२७९ ।
२७३, २७४,
३०२ । ३१८३१६ ।
६०, २८७ १
हुवे अक . ( भविष्यति होगा,
होज्ज अक (अभूत्, अभवत् बभूव) हुआ,
२६९ ।
वह होता है,
६० । १
२६९ ।
६१, ४२२ ।
६१ ।
६० ।
४०६ ।
४२० ।
१०७ । २६८ ।
३२३, ३२० ।
३७० ।
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" होम हूँ भक. ( भविष्यंति होंगे
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נו
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35
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ונ
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21
21
भो
हुन्तो
व.कृ ( भवन्) होता हुआ,
हू
वि. ( भूतम् ) हुआ हुआ,
हुआ
वि. भू. (भूता) हुए,
हुआ बि. भू. ( भूता) हुए, (भूत) हुआ
भूविशः
होऊण,
भोगं
"2
३८८ । ४१८ ।
दिनक. ( भविष्यति ) होगा, होगी, २७५,
३०२ ।
६१ ।
६४ ।
३८४ ।
३५१ ।
ओल} (भूत्वा) = होकर, २७१ ।
२४० ।
६४ ।
ऊस. कृ. (वा) होकर, वि. ( श्रनुभूतम् ) अनुभव किया हुआ, परिभवद्द सक. (परिभवति । पराजय करता है, परिविवि (परिभूत) पराजित, तिरस्कृत, ४०१ । प्रभव अ. ( प्रभवति ) समर्थ होता है,
६० ।
पहुंचता
६० ।
पहुच च
३९० ।
पभषे
६३ ।
पहू
वि. ( प्रभूतं ) पहुँचा हुआ, समर्थ हुआ ६४ ।
६० ।
संभव अ. संभवति) सभावना होती है, सनावद सक. (संभावयति ) सम्भावना करता है, ३५ । संभाविद वि. (असभावित) संभावना नहीं किया
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37
भ्रंशू -
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संसइ अक . ( भ्रश्यते) भ्रष्ट होता है, नष्ट होता है,
१७७ ।
भ्रम्
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पत्रभट्ट वि (प्रण्ट ) नष्ट हुआ, पतित हुआ, अन्ति स्त्री. (भान्तिः) भ्रम. मिथ्या ज्ञान,
अंक. (प्रभवति) पहुंचता है,
अक्र. ( प्रभवति) समर्थ होता है;
हुआ; ६० । म. (भोः) अरे, ओ, २६३, २६४, २८५, ३०२ ।
पु. न. (भोगम् ) इन्द्रियों के विषय, विषय-सुख,
३८९ ।
४३६ ॥
३६० ।
ममइ सक ( भ्रमति) घूमता है, भ्रमण करता है, १६१, २३९ । भह सक. ( भ्रमति ) घूमता है, भ्रमण करता है, ४०१ ।
भ्रमन्ति सक. ( भ्रमन्ति) बे घूमते हैं. भ्रमण करते हैं, ४५२ ।