________________ इल .. पु.(हरम) महादेव जी को; 326 / / हितपके न. (हृदयम् .. 310 / इला अ. (मखी-आमंत्रणे) सभी को बुलाने के | हिरण न. (हृदयन) हदम ले, 265 / अ. (सखी-आमत्रणे) अर्थ में बोला जाने हिवद अक. (भवति) होता है, 238 / वाला शब्द: 260, 332, 358 / हा अ. (आश्चयाँ दो निपातः) आश्चर्य पादि के हल्लाहलेणन. (दे. (विक्षोभेण वनराहट से, हड़बड़ी सम मदाल जाना / 3. 282,02. ही, अ. विदूषक द्वारा हर्ष के समय में बोला जाने हषद बक. (भवति / होता है: 238 / वाला घाब्द, 285, 302 / हस होसमणं न. (दे) (ह पितम् / स्वंसार हुआ, घोड़े का " हसइ अक. (हनि / हंसता है; 196, 239 / शब्द, 258. " इसन्तु अक. (हसन्तु! हम अ. (खलु) निश्चय, संशय, आदि में बोला दसितून सं. कृ. (हमित्वा) हंस कर के जाने वाला पब्द, 390 / हस्सइ कर्म.प्र. (हायते) हंसा जाता है। 246 / " हसिज्जइ कर्म. प्र. (हस्यो) मा जाता है। 241 / " हुणइ सक. (जुहोति। होम करता है, 241 / "हसिउँ वि. हलित) हंस गया, मनाक की गई; | " हुणिज्जई कम. प्र.(हूयते। हवन किया जाता है,२४२ / हुंकार उएं पु. हुंकारेण) स्त्री कृति प्रकाशक शब्द से, इस्ती पु. (हस्ती) हाथी, 286 / हुँकार ऐसे शक से,१२२ हारवह सक. (नाशयति / (हाग्यति * नाश करता है | हुवह पु.(हुतवह / अग्नि. हुदासणा पु. (हुताशनः) अग्नि. 265 / हि .अ. हि) निश्चय रूपः हुल ___सक, माष्टि) साफ करता है, हिअयं न. (हदयं) अन्तःकरण: हृदय, सक, (क्षिपति) फेंकता है. " हिनय न.(हृदय' अन्नकरण, हृदय, कर्म. प्र. (हूयते) हवन किया जाता है, 242 / "हिथा न. (हृदय) ., . 37. हुहुरू अ. (शब्दानुकरणे निपान: द विशेष की " हिना न, (हृदय वृदय में, अन्नकर" में, 330, नकल करन के समय में बोला जाने वाला शब्द, 395, 420 / " हिश्रा न. ( है हृदय ! ) हे दृश्य हे अत:करण ! हश्र वि. (भूतः) हुआ, 422 / / हे अ. (अधः) नीचे, 448 / हिडन न. (हृदयम्) हृदय बो, 350. 367. 422 / / हेलि अ.(हे आलि। हे सखि ! 379, 421. हिवडा न. (हे हदय ) हदय ! 357,422.439 / | हन्तिी अक. (अभविष्पत्) हुया होता, हुआ होगा, हिडिम्बाए स्त्री. (हिडिम्बायाः, हिडिम्बा नामक राक्षसिनी 355, 372, 373 / वा, 299 / | हासो व. कृ. (भवन् / (भवन) होता हुभा. 355, हिएडीअदि सक. (हिण्ड्रते भ्रमण किया जाता है,२९९ / 376, 373 / हितपर्क न.(हदयम् दृदय, अन्त करण, 3 होन्त र ब. कृ. (भवत् ) होता हुआ, 355, 379, 380