Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 2
Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 630
________________ . ४२३ । ३५२ उसक. (उत्तिष्ठोपविश) उठ और बैठ, उडाए वि. ( उडापयन्त्या ) उड़ाती हुई के उडण वि. ( उड्डीत:) आकाश में उड़ा हुमा, उद्द क. ( उड्डय ) आकाश में उड़ता है, २३७ । अ. (यन्ते) आकाश में उड़ते हैं, २३७ २३७॥ एड्ल वि. ( उष्णम्) गरम, तस उत्तर न. ( उप्पत्वम् ) गर्मी, उत्त सक. (रुणद्धि) वह रोकता है, उत्थंघर सक. ( उक्षिपति) कचा फेंकता है, ३६ उत्थल्लइ अक (उच्छलति) उछलता है. इत्याइ सक. ( लाक्रमते ) वह आक्रमण [ २४ ] ३४३ / १४३ । १३३ । १४४ | १७४ । करता है। १६० । उद्दालड़ सक. (उद्वालयति ) वह खींच लेता है। १२५ । उद्धभुअ यि. ( कर्ध्वभुजा) कंची भुजा किये हुई ४४४ । उमाइ सक. (उद्धमति) वह पूरक्षा है, पूरा करता है, १६९ । उन्ह ३७२ । सक. (उद्धूलमति) व्यास करता है. धूलि लगाता है, २९ । उत्पत्ति स्त्री (उत्पत्तिम् ) उत्पत्ति, प्रादुर्भाव उपर अ. ( उपरि ) ऊपर उपासक ( कथयति ) कहता है उप्पलह सक. ( उशामयति ) वह ऊंचा रख कर घुमाला है. ३६ । ३३४ । २ । उब्युकइ मक, ( उबुक्कति) बोलता है, कहता है, २ । माइ अक ( रमते) खेलता है. १६८ । ६० । १४४ । अद्द अ. (उद्भवति) उत्पन्न होता है. उत सक. ( उत्क्षिपति ) ऊचा फेंकता है; उमच्छइ सक. ( वचयति । वह उगता है, उम्मत्थद्द अक. (अभ्यागच्छति ) यह सामने आता ९३ । है, १६५ । ३५४ । ४४८ २०२ । ३६ । उम्मिलइ अक (उम्मीलयति ) चमकती है, उरे, उरम्म, नि. (रति) छाती में उल्लस a. (उल्लसति) तेजयुक्त होता है, उल्लालई सक. (उन्नामयति) ऊपर घुमाता है। उल्सालिङ वि. (उल्लालितः) ऊपर घुमाया हुआ; ४२२ । उल्लुकद्दसक. (तुति तोड़ता है। भांगता है; ११६ | सल्लुण्ड अ. (विरिणमित झरता है, टपकता है । २६ । उल्लूहइ अफ निःसरति) वह बाहिर निकलता है: २५९ । उल्लूर सके. (तुडति । वह तोड़ता है; ११६ क. (विज्ञापयते वह करता है. वह बुझाता मिश्र सक. (मीयते) उपमा वो जाती है; ४१८ उबालम्भइ सक. ( उपालनते. वह उमाहना देता है १२६ । उवेल्लइ अक . ( प्रसरति वह फैला है. उव्वरि वा उव्याह वि. ( उबरिता) छोड़ दो गई है. अक (उद्वाति) वह सूखता है. अ. (उग्रति) वह सूखता है. ११ २४० । वारिज्जइसक, (उद्वार्यते) छोड़ दिया जाता है ४ ८ । ठिबद अक . ( उद्विजति) वह उग करता है २२० । धब्बेढ सक. (उद्व ेष्टयति) वह बन्धन सुक्त करता है. २२३४ २२७ । २२५ । उव्वेषी पु. ( उद्वेगः) शोक, रज. उश्चशाद अक (उच्च उछलता है, उस्मा स्त्री. ( उष्मा) संताप, गरमी, उक्किइसक. (मुचति, उत्पिति छोड़ता है, कर फेंकता है. २१ १४४ । २८९ । ทุ้ "एइ [ ऊ 1 उसलाइ क. (उल्लसति) वह खुश होता है; २०२ । ऊसासेहि पु. ( उच्छ्वासैः ) ऊंचे श्वासों से; ऊलुम्भइ अक . ( उल्लसति) वह खुश होता है. २०२ । ४३१। [ ए ] "एआए एकातस एक ४१६ । एक मे एक्कासि ७७ । ३७९ । २४०१ सब. (एलया) इसस वि. ( एकादश) ग्यारह बि. 'एक) एक, ३७१, ३८३, ४१९, ४२२. ४२९, ४३१ । ४२२ । एक्कु बि. (एक) एक "एक्कहि वि. (एकै किन्हीं एक से, ३३१३५७, ३९६ / ४२२ । ४२२ । ४२८ । सर्व. (तत्) इसको ४३८ । स. (एलान इनको, ३३०, ३४४,३६३४१४ १ २८४, ३०२ ॥ ४२६ वि. (एकैकम् ) प्रत्येक को अ. (एकदा) एक बार, ?

Loading...

Page Navigation
1 ... 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678