Book Title: Prakrit Vyakaranam Part 2
Author(s): Hemchandracharya, Ratanlal Sanghvi
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 621
________________ [१५] माला स्त्री. (माला, माला, ३-३६, ८८, १२४। । रक्खमाणं पु (राक्षसाताम्) राक्षसों का, की, के, रूपावाल "३-२७, ३०, ३६, ४१, ८८, । ३-१४२ । १२४. १२६, १२७. १२१ । रएणा पु. (राजा) राजा से, राजा द्वारा, ३-५१। मि. सर्ष. (माम् ) भुमको, ३,१०७ । रतिं स्त्री. (राविम्) रात्रि को, ३-१६७। मोल मम्मीलन्ति सक. (उन्मीलन्ति) वे खोलते है, ३.२६ । रमि सम्बन्ध कृ. (रमस्वा) रमण करके, कीड़ा मुका वि. . मुबत्ताः) मोक्ष में गये हुए छुटे हुए. ३-५३४ । करके, ३-१३६ । मुच मिवन्ति अक. (रमन्ते) क्रीड़ा करते हैं, ३-१४२ । मुन्द आशा (मुन्च) छोड़ . ३-२६ । रयणाईन. (रत्नानि) अनेक ख, मणि, ३-१४२ । मोच्छ सक. भवि. (मोक्ष्यामि, में छोगा, ६-१७ वई (रषुपतिः ) रामचन्द, ३-७० । मुगिस्स पु (मुनये) मुनि के लिये, ३-१३१ । गरणा पु. (राका) राजा द्वारा, ३-५१ । मुणीण पु.. मुनिभ्यः) मुनियों के लिये, ६-१३१ । राया पु.(राजा) राजा, नूप, ३-१३६ । मुद्धा स्त्री. (मुग्धा) मोहित हुई स्त्री, नायिका का एक रूपाल-३-५९, ५०, ५१,५२,५३५४५५,५६ । भेद, ६-२९, ८६ ॥ रायाण पु. (राजा) नृप, ३.४९, ५६,।। रूपावली-२-२१ राद पु. (राहुः) ग्रह, विशेष, ३-१८० । मुद्धा.(मूर्धा मस्तक, सिर, ३-५६ । रिद्धीनो स्त्री, ऋयः) विविध संपत्तियां, ३.५८ । मुद्धाण पु. (मूर्धा मस्तक, सिर ३-५६ । रुद-रोधछ अक. भवि, रोदिष्यामि) मैं रोगा,३-१७१। मुद्धिनाश्र, मुद्धिमाप, मुद्धिाइ स्त्री. (भुग्धिकायाः) | रुमित कृ. (रोषयितुम् क्रोध करने के लिये, ३-१४१ । मुम्बा से, मुग्धा का, ३-२९ । रेरे अ. (रे रे) अरे, अरे, तिरस्कार, सूचक अश्यप, मुह न. (मुखम्) मुह, बदन, मुख, ३-२९। ३-३८। मुहस्स न, (मुखस्य) मुख का, ३-१२४, १३४ । | रेहन्ति अक. (गजन्ते, शोभित होते हैं, ३-२२, १२४ । मुहो स्त्री. वि । मुखी) मुखघाली, ३-७० । गेइत्था सक. (रोचध्ये) तुम चाहते हो, ३-१४३ । में सर्व. (मया, मम, मथि। मुझसे, मेरा, मेरे पर.-१०९ | रोच्छ अक. भवि. (रोदिष्यामि) मैं रोऊगा,३-१७१। ११३, ११५। मेहा (मेघा.) बादल, ३.१४२ मो सर्व. (वयम्) हम, ३-१०६ । मोहो पु. (मोहः) मूलता, अज्ञान. राग, चित की व्याकुता | लभ " ३-८७ । लज्ज, लहिज्जेज सक. लिभ्यने) प्राप्त किया म्मि सर्व (अहम्) मैं ३-१०५ । जाता है,५-१६० । मह, म्हि म्हो, अक्र. कि. (अस्मि स्मः) मैं है, हम हैं, लद्धो पि. (लम्धः) प्राप्त किया हुआ, ३-१३४ । लद्धन. वि. (लन्ध प्राप्त किया हुआ, प्राप्त,३-२३ । लहपु. (लघु) छोटा, हल्का, एक मात्रा वाला अक्षर, या-जामि अक. (यामि मैं जाता है, ३.१५७ लहुआइ सक (लघुकरोति) यह छोटा करता है, ३-८७। [२] लिख ............................. रईआरईज रईहिन्तो स्त्री. (रत्या, रत्याः, गत्याम्) | लिहामि, लिमि सक. (लिहामि) मैं लिखता हूँ, रति से, रति में, ३.२९ । मैं रेखा करता हूं, ३-१५५ ।

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