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चूलिका-पैशाचिक भाषा में परस्पर में अन्य विधि-विधानों द्वारा होने वाले परिवर्तनों की संप्राप्ति की कल्पना भी स्वयमेव कर लेनी चाहिये; ऐमी विशेष सूचना प्रन्थकार वृत्ति में 'एत्रमन्यदपि शब्दों द्वारा दे रहे हैं ।। ४-३२६ ॥
* प्राकृत व्याकरण *
0804868444
इति चूलिका - पैशाची - भाषा-व्याकरण- समाप्त
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