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* प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित *
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(१) शीघ्रम् = हिल्ल-जल्दो, (२) झकद = धंवल- झगड़ा, कलह ।
(३) अस्पृश्य-पता = विट्टाल-नहीं छूने लायक वस्तु के साथ अथवा पुरुष के साथ की संगति हो जाना, अपवित्रता होना।
(४) भय - द्रवक = भय, डर, भीति । (५) प्रात्मीय-अप्पण-खुद का। (३) दृष्टि = द्रहि= नजर, दृष्टि । (७) गाढ निचट्ट = गाद, मजबूत, निविड, सघन । (८) माधारण = सट्टल = साधारण, मामूली, सर्व सामान्य । (6) फौतुक-कोछु = आश्चर्य, कौतुक, कुतूहल, आश्चर्य मय खेल । (१०) कोका-खेड - खेल। (५१) रम्य =रत्रगण = सुन्दर, मन को मोहित करने वाला। (१२) अद्भुत ढहरि = अनोखा, आश्चर्य-जनक । (१३) हे सखि हे हेखि हे दारिका हे सहेलो । (१४) पृथक्-पृथक = जुनं जुन - अलग अलग (१५) मूद = नालिम तथा बढ-मूर्ख, बेत्रकूफ अज्ञानी । (१६) नव = नवख=नया ही, अनोखा ही। ११७) अवस्कन्द = दबद्ध = शीघ्र, जल्दी, शीनना पूर्वक दबाव का पड़ना । (१८) यदि = छुडु = यदि, जो, शीघ्र, तुरन्त । (१६) सम्बन्धी केर और तण = सम्बन्ध वाला, सम्बन्धी चीज़; जिसके कारण से। (२०) मा भैषोः = मभीसा- मत डर, अभय वचन ।
(२१) यद्-यद्-दृष्टं = जाइ द्विप्रा-जिम जिस को देखते हुए; जिस जिस को देख कर के, देखे हुए जिस जिस के साथ । वृत्ति में इन इक्कीस ही शब्दों का प्रयोग गाथाओं द्वारा तथा गाया चरणों द्वारा समझाया गया है, तदनुसार उन गाथाओं का और उन गाथा-चरणों को संस्कृत-भाषान्ता पूर्वक हिन्दी अर्थ कम से यों है:--