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* प्राकृत व्याकरण * 00000000000000000000000***00000000000000000000000000000000000000000000
अर्थः-अपभ्रश-भाषा में अकारान्त शब्दों में प्रथमा विभक्ति और द्वितीया विभक्ति के एक वचन में "सि तथा अम्' प्रत्ययों के स्थान पर '' प्रत्यय को आदेश प्राप्ति विकल्प से होती है। यह विधान अकारान्त पुल्लिंग और अकारान्त नपुंसक लिंग वाले सभी शब्दों के लिये जानना । उदाहरण के लिये पृत्ति में जो गाथा उद्धृत की गई है इसमें 'दहमुहु, भयंकरु, संकरु, णिग्गउ, चडिप्रय और घडिअउ' शब्दों में प्रथमा-विभक्ति के एक वचन में पुल्लिंग में 'उ' प्रत्यय की श्रादेश-प्राति की गई है। इसी प्रकार 'चउमुह और छमुहु' पदों में द्वितीया विभक्ति के एक वचन में पुहिलग में 'उ' प्रत्यय की धादेश प्राप्ति का सद्भाव प्रदर्शित किया गया है । यो अन्यत्र भी प्रथमा-द्वितीया के एक वचन में समझ लेना चाहिये । उक्त गाथा का संस्कृत तथा हिन्दी भाषान्तर यो जानना चाहिये - संस्कृतः-दशमुखः भुवन-भयंकरः तोषित शंफरः, निर्गतः रथवरे आरूढः ।।
चतुर्मुख षण्मुखंध्यात्वा एकस्मिन् लगिस्ता इदैवम घटितः। अर्थ:-संसार को भयंकर पर्गत होने वाला. और जिसने महादेव शंकर को (अपनी तपस्या से) संतुष्ट किया था, ऐसा दशमुख वाला रावण श्रेष्ठ रथ पर चढ़ा हुओ निकला था। चार मुह वाले ब्रह्माजी का और छह मुख वाले कार्तिक यजी का ध्यान करके (मानो उनकी कृपा से उन दोनों से दश मुखों की प्राप्ति को हो, इस रीति से) देव ने-(भाग्य ने एक ही व्यक्ति के दश मुखों का) निर्माण कर दिया है, यों यह प्रतीत हो रहा था ।। ४-३३१ ।।
सौ पुस्योद्वा ॥ ४-३३२॥
अपभ्रंशे पुल्लिंगे वर्तमानस्य नाम्नोकारस्य सौ परे प्रोकारो वा भवति । अगलिश्र-नेह-निवट्टाह, जोपण-लक्खु वि जाउ ।। परिस-सएण वि जो मिलइ सहि ! सोक्खहँ सो ठाउ ॥ १ ॥ पुसीति किं ? अंगहि अंगु न मिलिउ, हलि ! अहरे अहरु न पत्तु ।। पिन जो अन्तिहे मुह-कमलु एम्बइ सुरउ समत्तु ॥ २ ॥
अर्थः-शपभ्रश भाषा में अकारान्त पुल्लिग शब्दों में प्रथमा विभक्ति के एक वचन में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर विकल्प से 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होती है । जैमा कि उपरोक्त गाथा में जो' और 'सो' सर्वनाम-रूपों में देखा जा सकता है। यों अपभ्रंश भाषा में अकागन्त पुल्लिग शब्दों में प्रथमा विभक्ति के एक वचन में तीन प्रत्यय होते हैं, जो कि इस प्रकार है:-(१) 'उ' (४-३३१), (२) 'ओ' (५) (४-३३२) और (३) "लुक्-" (४ ३४४) !!
उपरोक्त गाथा का संस्कृत में और हिन्दी में रूपान्तर निम्न प्रकार से है:--