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*प्राकृत व्याकरण * wrotoror.000000000000radition00000000000000000000tratortootossot.in
उपरोक्त सूचना के अतिरिक्त ग्रंथ कर्ता प्राचार्य श्री ने 'वृत्ति में सूत्र संख्या १-४ से प्रारम्भ कर के चारों पादों के सूत्रों को सम्मिलित करते हुए सूत्र संख्या ४-२५६ तक के सूत्रों में वर्णित सभी प्रकार के विधि-विधानों का 'अधिकार' इस मागधी भाषा के लिये भी निश्चय-पूर्वक जानना' ऐसा स्पष्टतः निर्देश किया है । इन सूत्रों में जो जो उदाहरण है, जो जो परिवर्तन, लोप, पागम, श्रादेश, प्रत्यय, अथवा वणविकार श्रादि व्याकरण-सम्बन्धी व्यवस्थाएं हैं। वे सब की सब मागधी-भाषा के लिये भी हैं: ऐसा जानना चाहियं । पाठकों को चाहिये कि ये ऐमी परिकल्पना कर लें और तर्क पूर्वक इन्हें सम्यक प्रकार से स्वयमेव समझ लें ॥४-३०२।।
इति मागधी-भाषा-व्याकरण-समाप्त