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* प्राकृत व्याकरण
[ ३४५ ] minoorrowrotessorrorsroreworkwormerarsexrearrantosorrecadroortooorim
अर्थ.--'घणा करना, निन्दा करना' इस अर्थ में प्रयुक्त होने वाली संस्कृत धातु 'जुगुप्स' के स्थान पर प्रात में विय रूप से तीन प्रकार की धातुओं की भावेश-प्राप्ति होती है। क्रम से यों हैं:-(१) भुण, (२) दुगुच्छ, और (३) दुगुज्छ । उदाहरण इस प्रयार है:- जुगुप्सति = झुणा, गच्छा ,
गुरुछन = व पणा करता है या ६६ निन्दा करता है। वैकल्पिक पक्ष होने से पक्षान्तर में जुमुच्छड़ ऐसा रू। भी होगा।
सूत्र संख्या १.१७७ से मूल धातु जुगुच्छ में से विकरुप से 'ग' का लोप होने पर पूर्वोक्त तीनों रूपों की कम से वैधनिक प्राप्ति यों होगी:-(१) दुउच्छइ, १२) दुन्छइ और (३) जुच्छइ = यह घृषा करता है अथवा निन्दा करता है ॥४-४३
बुभुक्षि-वीज्योरिव-वोज्जी ॥४-५॥ बुभुक्षेराचार शिवन्तस्य च बीजेर्यथासंख्यमेताबादेशौ का भवतः ॥ शीरबह । बुहुचखइ । बोज्जइ । वीजइ ॥
अर्थ:- 'भूख' अर्थक संस्कृत-धातु 'पुभुक्ष,' फ स्थान पर प्राकृत में विकल्प से 'जीव' धातु की आदेश-प्राप्ति होती है; यो 'भुत्त' के स्थान पर बुहुक्व और गोरख दोनों धातुओं का प्रयोग होता है । जैसे- बुभुक्षति = गीरषद अथवा बुलुक्खइ = वह भूख अनुभव करता है अथवा वह भूखा है। इसी प्रकार से हवा के लिये पंखा करना इस अर्थ वालो और श्राचार अर्थक किम् प्रत्ययान्त वाली धातु 'बीज' के स्थान पर प्राकृत में विकाप से वोन धातु को 'आदेश-प्राप्ति होता है। जैसे-बीजयति = योजाइ अथवा वीजइ = वह पंखा करता है । यो कम से दोनों धातुओं के स्थान पर विकल्प से उपरोक्त धातों का आदेश-प्रापिस जानना चाहिये ।।४-५॥
'ध्या--गो गौ ॥४-६॥ अनयोयथा-संख्यं झा गा इत्यादेशौ भवतः । झाई । झाइ । णिज्झाइ । विभाइ । निपूर्वादशनार्थः । गाइ । गायइ । झा । गाणं ॥
___ अर्थ:-संस्कृत धातु 'य' के स्थान पर प्राकृत में 'मा' धातु को नित्य रूप से आदेश प्राप्ति होती है . इसी प्रकार से गायन करने अथक धातु 'गे' के स्थान पर भी नित्य रूप से गा' धातु की प्रादेश प्राप्ति क्षेती है । जैसे-ध्यायति-झाइ अथवा झाअइ = यह ध्यान करना है।
ध्यान पूर्वक देखने के अर्थ में जब 'प्य धातु के पूर्व में विर' उपमर्ग की प्राप्ति होती है, उस समय में भी व्य के स्थान पर 'झा' धातुरुप की ही श्रादेश-प्राप्ति होती है। जैसे-निायति=णिज्झाइ अथवाणिज्मायावह ध्यान पूर्वक देखता है। 'गै' धातु का उदाहरण यों है:- गार्यात - माह अथवा गामह स व गाया है-पायन करता है।