________________
[ ३७६ ]
* प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित * monocockroatoonwrwww.orrentresorterroristossessorseenetworkot.kom
मण्डोधिञ्च-चिश्चन-चिञ्चिल्ल-रीढ़-टिविडिक्काः ॥ ४..११५ ॥
मएडेरेते पञ्चादेशा वा भवन्ति ॥ चिञ्च । चिश्च अइ। चिचिल्लड । रीडइ । टिविडिकइ । मण्डह।
अर्थः—'मंडित करना, विभूषित करना शोभा युक्त बनाना अर्थक सस्कृत-धातु भएनुय' के स्थान पर प्राकृत भाषा में विकल्प से पाँच धातु-रूपां का श्रादेश प्राप्ति होती है । जो | क कम से इस प्रकार हैं:-११) चिश्व, (२) चिञ्चअ, (३) चिचिल्ल. . ४) गड और (५) टिबिडिकपक्षान्तर में 'मण्ड' की मो प्राप्ति होगी । उदाहरण क्रम से इस प्रकार है:-मण्डयति (३) चिश्चाइ, (F)चिवभइ (३) चिञ्चिल्लइ, (४) रोड, ५) टिविडिकर, पक्षान्तर में मण्डइ - वह मंडित करता है. वह शोभा युक्त बनाता है ।। ४--११५ ।। तुडे स्तोड-तुट्ट-खुट-खुडोक्खु डोल्लुक्क गिलुङ्गक--
लुक्कोल्ल राः ॥ ४–११६ ॥ तुडेरते नवादेशा या भवन्ति ।। तोडइ । तुट्ट । खुइ। खुडइ । उक्खुडइ । उल्नु कइ । णि लुक्कइ । उन्लूरइ । तुडइ ॥
अर्थ:--तोड़ना, स्खलित करना, टुकड़ा करना' अर्थक संस्कृत-धातु 'तुड़' के स्थान पर प्राकृत.. भाषा में विकल्प से नव धातु रूपों की प्रादेश प्राप्ति होती है। जो कि कम से इस प्रकार है:-(१) तोड़, (२) तुट्ट. (३)खुट्टः (४) खुल, (५) खुड, (6) उल्लुका, (७) णिलुका, (८) लुछ और (६) जल्लूर । पक्षान्तर में तुइ भी होगा । उदाहरण कम से इस प्रकार है:- नडति = (१) तोडई, (२) नुट्टः, (३) खुट्टइ, (४) खुडइ, (५) उषह, (6) उल्लुकाइ, (७) जिल्लुका, 12) लकड़, (१) उल्लुरइ, पन्हान्तर में (१०० नडई = वह तोड़ता है, वह स्नंडित करती है अथवा यह टुकड़ा करता है ।। ४.११. ! .
घूर्णी घुल-घोल-घुम्म-पहल्लाः ॥४-११७ ॥ घूमौरते चत्वार श्रादेशा भवन्ति ।। घुलइ । धोलइ । घुम्मइ । यहल्लइ ।।
अर्थ:--घूमना, काँपना, डोलना, हिलना' अथक मंस्कृत-धातु धूर्ग के स्थान पर प्राकृत भाषा में चार ( धातु- ) रूपों की प्रादेश प्राप्ति होती है। वे इस प्रकार है:-- १) घुन, (२) घोल, (३)चुम्म और (१) पहल्ल । उदाहरण कम से इस प्रकार है:-घूणाति = (१) धूलइ. (१) घोलइ, (३) घुम्मा और ४) पहल्लइ - वह घूमता ई अक्वा वह कॉपतो है, वह डोलना है वह हिलना है।। ४-१९१७ ।।