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* प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित * mroesomorroommarrposedaagmanianti Artmentervwoomerrorosroom
- बोच्छं = मैं कहूँगा; (E) छेत्स्यामि = छेछ-मैं छेदूंगा; (१०) भेत्स्यामि =भेच्छ =मैं भेदूंगा और (११) भौक्ष्य = माछ-मै खाऊँगा । उपत. धात्वादेश मिति फेवल भविष्यत् काल के लिये ही होती है । इमी विषयक विप विवरण सूत्रसस्था:-१७६ में दिया जाने वाला है।
श्रोध्या में संस्कृत का सबमक रूप है। इसका प्राकृत-रूपान्तर संच्छ होता है। इसमें सूत्रसस्या ३.६७६ से सम्पूर्ण संस्कृत-पद श्रीष्यामि के स्थान पर प्राकृत में मोच्छ रूप की आदेश-प्राप्ति होकर भविष्यत्-काम-थक तनीय पुरुष के एकवचन का बाधक रूप सोच्छं मिख हो जाता है ।
गमिष्यामि संवत का भविपर,त-काल- थक, तनीय पुरुष के एकवचन का अकर्मक क्रियापद का रूप है । इसका प्राकृत रूपांतर गच्छं होता है। इसमें सूत्र-संख्या ३.१७१ से संपूर्ण संस्कृत-पद गमि. ध्यामि के स्थान पर प्राकृत में गच्छं' रूप सिद्ध हो जाता है।
संगस्य संस्कृत क्रियापद का रूप है । इसका प्राकृत-रूप संगच्छ होता है । इममें सूत्र-संख्या ६.१७१ से संस्कृत-पद के स्थान पर प्राकृत-पद की आवश-प्राप्ति होकर संगच्छं पद की सिद्धि हो जाती है।
रीविख्याम संस्कृत नियापन का रूप है। इसका प्राकृत रूपान्तर रोच्छं होता है । इसमें सूत्रसंख्या ३-१७१ से सस्पूर्ण संस्कृत-पद के स्थान पर प्राकृत पद की श्रादेश प्राप्ति होकर रांच्छे रूप की सिद्धि हो जाती है।
इसी प्रकार से शेष सात प्राकृत रूपों में पच्छ, ३च्छ, मोच्छं, वोच्छ, छेच्छ, भेच्छ और भौच्छं भी सूत्र संख्या ३-१४१ से ही सस्कृतीय सम्पूर्ण क्रियापदों के रूपों को ऋमिक रूढमात्मक श्रादेशप्राप्ति होकर कम से ये प्राकृत कियापद के रूप स्वयमेव और अनायास ही सिद्ध हो जाते हैं । ३-१७१ ।।
सोच्छादय इजादिषु हि लुक् च वा ॥ ३-१७२ ॥ श्वादीनां स्थान इजादिषु भविष्यदादादेशेषु यथासंख्य सोच्छादयो भवन्ति । ते एवादेशा अन्त्य स्वराधक्यवरर्जा इत्यर्थः । हिलुक् च वा भवति ।। सोच्छिइ । पक्षे । सोच्छिदिइ । एवं सोच्छिन्ति । सोच्छिहिन्ति । सोच्छिसि । सोच्छिहिसि । सोच्छित्था । सोच्चिहित्था । सोच्छिह ।
सोच्छिहिह । सोच्छिमि । सोच्छिहिमि । सोच्छिस्सामि । सोच्छिहामि । सोच्छिरसं । सोच्छ । सोछिमो । सोच्छिहिमो । सोच्छिरसामो । सोच्छिहामो । सोच्छिहिस्सा । सोच्छिहित्था । एवं मुभयोरपि । मच्छिद । गच्छिडिए । गच्छिन्ति । गच्छिहिन्ति । गच्छिसि । गच्छिहिसि । गरिछस्था । गच्छिहित्था । गच्छिह । गच्छिहिह । गच्छिामि । गम्छिहिमि । गच्छिस्सामि ।