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• प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित में
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'कर्य' रूप को सिद्धि सूत्र-संख्या १.१२% में की गई है। 'पी ' और 'राणी' रूपों की सिद्धि सूत्र-संख्या ३-५० में की गई है। 'आगओं' हप की मिद्धि सूत्र-संख्या १-२०९ में की गई है। 'धणं' रूप की मिद्धि सूत्र-संख्या ५० में की गई है। 'पा' अव्यय की मिद्धि सूत्र-संख्या १-१७ में की गई है । 'रायाणो' रूप की सिद्धि सूत्र संख्या ३-५० में की गई है। 'चिन्ति (किया प३) रूप की सिद्धि सूत्र संख्या ३-२० में की गई है। 'पेच्छ' (क्रिया-पद) रूप की सिद्धि सूत्र-संख्या १-72 में की गई है।
'या' अध्यय की सिद्धि सूत्र संस्था १-६७ में की गई है। 'राएण' रूप की सिद्धि मन्त्र संख्या ३.५१ में की गई है। 'रायाओं 'रायस्स' रूपों की सिद्धि सत्र संख्या ३.५० में की गई है ।
पुस्यन प्राणो राजपच्च ॥ ३-५६ ॥ पुल्लिङ्ग वर्तमानस्यानन्तस्य स्थाने आग इत्यादेशो या भवति । पक्षे । पथा दर्शनं । राजवत् कार्य' भवति )। भाणादेशे व अत: सेडौंः (३-२) इत्यादयः प्रवर्तन्ते । पचे तु राज्ञः जस-शस-डसि-ङसां णा (३-५०) टी याा (३-२४) इणममामा (३-५३) इति प्रवत्तन्ते ।। अप्पाखो ! अप्पाणा । अप्पासं । अप्पाणे | अप्पाणेण । अप्पाणेहि। अप्पासाओ । अप्पाणा. सुन्तो । अपाणस्स | अप्पाणाण । अपाणम्मि । अप्पाणेसु । अप्पाण-कयं । पचे राजवत् । अप्पा । अप्पो । है अथा। हे अप्प । अप्पाणो चिट्ठन्ति । अप्पासो पेच्छ । अप्पणा । अप्पहिं । प्रधाणो। अप्पारे। अम्पाउ । अप्पाहि । अपाहिन्वी 1 अप्पा | अप्पासुन्तो ।। अप्पणो धणं । अप्यावं । अप्पे । अप्पेसु ॥ रायाणी । रायाणा । रायाणं रायाणे । रायाणेण । रायाणेहिं । रायाणा हिन्तो। रायासम्स । रायाणाएं । रायाणम्मि । रायाणेसु । पचे। राया इत्यादि । एचं जुवायो । जुवाण-जयो । जुमा । बम्हाणो । बम्हा । अद्धाणो । अद्धा ॥ उछन् । उच्छाणो । उच्छा ।। गावायो। गावा ॥ पूमाणो । पूसा ॥ तस्खायो । तक्या ।