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प्राकृत व्याकरण * •nworor.000000srowseroseekenarkestrenderwesoressive+wsersosorror600000
पर) क्रम से पाँच रूपों की श्रादेश-श्रामि हुश्रा करती है। मादेश-प्रान पांचों ही रूप क्रम से इसप्रकार हैं:-(माय = ) मि, मइ, ममाइ मर और मे अर्थान मुझ पर अथवा मेरे में । उ सहरण इस प्रकार है:--- मयि स्थित्म = मि-भइ-ममाइ-माए-मे ठिथ अर्थात मुझपर अथवा मेरे में स्थित है।
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माकृत सप्तमी ५कवचनानि बिलिंगात्मक सब नाम रूप है । इसके प्राकृत रूप मि, मइ, ममाइ. मप. और में होते हैं। इसमें सब संख्या ३-११५ से मप्तगी विभक्ति के एकवचन में संस्कृत-शम्द'अस्मद् में संप्राप्न प्रत्यय छिम' की संयोजना होने पर प्राप्त रूप 'माय' के स्थान पर उक्त पाँचों रूपा को क्रम में प्राकृन में श्रादेश प्राप्ति होकर ये पाँचों रूप. 'मि, में, ममाद, मए और में सिद्ध हा जाते हैं ।
'ठिोंकप की मिद्धि मूत्र-मख्या ३-१६ में की गई है । ३.११५ ॥
अम्ह-मम-मह-मझा ङौ ॥३-११६ ॥
अस्मदो डी परत एते चत्वार प्रादेशा भवन्ति ॥ उस्तु या प्राप्तम् ॥ अहम्मि ममम्मि महम्मि मम्मम्मि ठिअं॥
अर्थ:-संस्कन सर्वनाम शन 'अस्मद' के प्राकृत मपान्तर में सप्तमी विभक्ति के एकवचन में संस्कुतीय प्राप्तव्य प्रत्यय 'रि-ह' के प्राकृतीय स्थानीय प्रत्यय सत्र संख्या ३.११ से प्राप्तव्य "म्मि' प्रत्यय को संयोजना होने पर संस्कृत शब्द 'अस्मद" के स्थान पर प्राकृत में चार अंग रूपां की प्रादेश प्राप्ति हुयी करना है एवं तर पश्चात मातमी एकव व नाथ में उन श्रादेश-प्राप्त अंग रूपों में म्मि प्रत्यय को मंयोजना हुश्रा करती है । उक्त विधानानुमार 'अस्मद्' के प्रकृतीय प्राप्नध्य चार अंग रूप इस प्रकार है:---अम्मद अम्ह, मम, मह और मझ । उदाहरण इस प्रकार है:--मयि स्थितम् अहम्मि-मममि-महम्मि-मज्झम 'ठ अर्थान मुझ पर अथवा मेरे में स्थित है।
'मयि संस्कृत मप्तमी एकवचनान्त त्रिलिंगात्मक मनाम है। इसके प्राकृत प 'अम्हगिम, ममम्मि, महम्मि और मझम्म' होते हैं। इनमें सूत्र-संख्या ३-११६ से सप्तमी विभक्ति क एकवचन में संस्कृत शब्द 'अस्मद् के स्थान र प्राकृत में उक्त चार 'अम्ह, मम, मह और मझ अंग रूपों की प्रादेशप्राप्ति एवं तत्पश्चात मूत्र संख्या ३.११ से इन चारों प्राप्तांगों में सप्तमी विमक्ति के एकवचन में संस्कृतीय प्राप्तव्य प्रत्यय कि-इ' स्थान पर प्राकृत में म्मि' प्रत्यय की प्रादेशः ति होकर कम से चारों रूप. अहम्मि, मम्मि, मम्मि और मज्झम्मि' सिद्ध हो जाते हैं ।
विभ' रु.५ की मिद्धि-सत्र-मस्या ३.१७ में की गई है। ३.११६ ।।