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* मास व्याकरण में wrometoreovertistorirstoosterstosworrierrormeroreroton
भे तुम्भे तुझ तुम्ह तुम्हे उरहे जसा ।। ३-६१ ॥ युष्मदो जसा सह भे तुब्भे तुझ तुम्ह तुम्हे उरहे इत्येते षडादेशा भवन्ति ॥ मे तुम्भे तुज्झ तुम्ह तुम्हे उव्हे चिट्ठह । भो म्हज्झौ वा (३.१०४ ) इति वचनात् तुम्हे । तुज्झे एवं चाष्टरूप्यम् ॥
अर्थ:-संस्कृत सर्वनाम शब्द 'युष्मद्' के प्रथमा विभक्ति के बहुवचन में संस्कृतीय भाम्य प्रत्यय 'जस' की संयोजना होने पर 'मूल शम्न और प्रत्यय' दोनों के स्थान पर श्रादेश-पान संस्कृत रूप 'यूयम' के स्थान पर प्राकृत में कम से छह रूपों की आदेश प्रानि हुआ करती है । वे छह रूप कम से इस प्रकार हैं।-भे, तुब्भे, तुज्झ, तुम्ह, तुम्हे और सरहे । उदाहरण इस प्रकार है:-यूयम् तिष्ठयम्भ, (अथवा) तुम्मे, (अथवा) तुझ, (अथवा) तुम्ह, (अथवा) तुम्हे और (अथवा) उयहे चिट्ठह अर्थात तुम खड़े होते हो । सूत्र-संख्या ३.१०४ के विधान से आदेश-प्राप्त द्वितीय रूप 'तुठभे' में स्थित 'डभ' अंश के स्थान पर वैकल्पिक रूप से 'म्ह' और 'उझ की कम से आदेश-प्राप्ति हुआ करती है। तदनुसार उक्त छह रूपों के अतिरिक्त दो रूप और इस प्रकार होते हैं:-'तुम्हे और तुम्भे'; यो 'यूयम्' के स्थान पर प्राकृत में कुन्त आठ रूपों की क्रम से (एवं वैकल्पिक रूप से) पादेश-प्राप्ति हुआ करती है।
यूयम् संस्कृत प्रथमा बहुवचनान्त (त्रिलिंगात्मक ) सर्वनाम रूप है। इसके प्राकृत रूप पाठ होते हैं:-भे, तुम्भे, तुज्झ, तुम्ह, तुम्हे, उव्हे, तुम्हे, और तुझे । इनमें से प्रथम छह रूपों में सूत्र-संख्या ३-६१ से सम्पूर्ण संस्कृत रूप 'यूयम्' के स्थान पर इन छह रूपा को श्रादेश-प्राप्ति होकर ये बह रूप-भे, तुभे, तुज्झ, सुम्हे, तुम्हे, और उरहे' सिद्ध हो जात है।
शेष दो रूपों में( याने यूयम् = ) तुम्हे और तुन्भे में सूत्र संख्या ३-१०४ से आदेशप्राप्त द्वितीय रूप 'तुम्भे' में स्थित 'भ' अंश के स्थान पर 'म्ह और 'झ' अंश रूप की श्रादेश-प्राप्ति होकर क्रम से सातवा और पाठवां रूप तुम्हे एवं तुज्म' भी मिद्ध हो जाते हैं।
तिष्ठथ संस्कृत अकर्मक क्रियापद का रूप है। इसका प्राकृत रूप चिट्ठप होता है। इसमें सूत्र-संख्या ४.१६ से संस्कृतीय श्रादेश प्राप्त कप 'तिष्ठ' की मूल धातु 'स्था' के स्थान पर प्राकृत में मंचट्ठ' रूप को आदेश-प्राप्ति और ३-१४३ से वर्तमान काल के द्वितीय पुरुष के बहुवचन में संस्कृतीय प्राप्तव्य परस्मैपदीय प्रत्यय 'य' के स्थान पर प्राकृत में '' प्रत्यय की श्रादेश-प्राप्ति होकर चिट्ट रूप सिद्ध हो जाता है । ३-६१ ॥
ते तु तुमं तुवं तुह तुमे तुए अमा ॥ ३-६२ ।। युप्मदोमा सह एते सप्तादेशा भवन्ति ॥ तं तु तुम तुवं तुह तुमे तुए बन्दामि ॥