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*प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित *
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अर्थः-संस्कृत सवनाम शब्द 'युष्मद्' के द्वितीया विमक्ति के एकवचन में संस्कृतीय प्राप्तव्य प्रत्यय 'अम् = म्' की संयोजमा होने पर 'भूल शब्द और प्रत्यय दोनों के स्थान पर आदेश-प्राप्त संस्कृत रूप त्वाम्' के स्थान पर प्राकल में कम से सात रूपों की श्रादेश-प्राप्ति हुआ करतो है । वे मात रूप क्रम से इस प्रकार है:-तं, तु, तुमं, तु, तुम, तुमे और तुए । उदाहरपा इस प्रकार है:- अहम् ) त्वाम् वन्दामि = (अहं) तं, (अथवा) तु, (अथवा) तुमं, (अथवा) तुर्क, (अथवा) तुह, (अथवा) तुमे और (अथवा) तुर चन्द्रामि = अर्थात (मैं) तुझे बन्दना करता हूँ।
वाम संस्कृत द्वितीया एकवचनान्त (त्रिलिंगात्मक) सर्वनाम रूप है । इसके प्राकृत रूप सात होते हैं। तं, तु, तुम, तु, तुह, तुमे और तुए। इन सातों रूपों में सूत्र संख्या ३-६२ से संस्कृत रूप 'स्वाम्' के स्थान पर कम से इन सातों रूपों को आदेश-प्रारित होकर य सातों रूप कम से 'त, तु, तुम तुर्व , तुह, नुमें और तुए सिद्ध हो जाते हैं।
'वनदामि' क्रियापद रूप की सिद्धि सूत्र-संख्या १-5 में की गई है। ३-६२॥
वो तुझ तुब्भे तुरहे उव्हे में शसा ॥ ३-६३ ।। युष्मदः शसा सह एते षडादेशा भवन्ति ।। वो तुझ तुम्भे । भो म्हज्झौ वेति वचनात् तुम्हे तुज्झे तुम्हे उय्हे भे पेच्छामि ॥
अर्थः-संस्कृत सर्वनाम शब्द 'युष्मद्' के द्वितीया विभक्ति के बहुवचन में संस्कृतीय प्राप्तव्य प्रत्यय 'शस - अस् की सयोजना होने पर 'मूल शब्द और प्रत्यय' दोनों के स्थान पर आदेश प्राप्त संस्कृत रूप 'युष्मान' के स्थान पर प्राकृत में क्रम से छह रूपों की श्रादेश-प्राप्ति हुश्रा करती हैं । वे छह रूप क्रम से इस प्रकार है:--वो, तुज्झ, तुम्भे, तुम्हे, उरई और भे । सूत्र-संख्या ३-१०४ के विधान से प्रादेश-प्राप्त तृतीय रूप 'तुम्भे' में स्थित 'हम' अंश के स्थान पर वैकल्पिक रूप से 'मह' और 'ज्म' अंश रूप को क्रम से आदेश प्राप्ति हुआ करती है; तन्तुमार उक्त छह रूपों के अतिरिक्त दो रूप और इस प्रकार होते है:--'तुम्हे और तुझे' यो 'युष्मान' के स्थान पर प्राकृत में कुल पाठ रूपों की कम से ( एक वैकल्पिक रूप से ) प्रादेश-प्राप्ति हुआ करती है । उदाहरण इस प्रकार है:-( अहम् ) युष्मान प्रेक्षे = वो, (अथवा ) तुझ, ( अथवा ) तुम्भे, (अथवा ) तुम्ई, ( अथवा ) तुझ ( अथवा ) तुय्हे, (अथवा ) उरहे और (अथवा ) में पेच्छामि अर्थात ( मैं ) पाप ( मी ) को देखता हूं ।
युष्माच संस्कृत द्वितीया बहुवचनान्त त्रिलिंगात्मक सर्वनाम रूप है । इसके प्राकृत रूप पाठ होते हैं:--दो, तुझ, तुभे, तुम्हे, तुज्झ, तुरई, हे, और भे । इन पाठों रूपों में सूत्र-संख्या ३-६३ से संस्कृत रूप 'युष्मान' के स्थान पर क्रम से इन आठों रूपों की मादेश-प्राप्ति होकर ये पाठों रूप क्रम से 'वो, तुज्झ तुभे, नुम्हे, तुझे, तुरहे, उय्हे, और भे' सिद्ध हो जाते हैं।