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निर्माण हेतु 'आ' प्रत्यय की प्राप्ति और ३.२७ से प्राप्तांग 'ए' में प्रथमा विभक्ति के बहुवचन में संस्कृती प्राप्तव्य प्रत्यय 'जय' के स्थान पर प्राकृत में 'ओ' प्रत्यय का प्राप्ति होकर एमों का सिद्ध हो जाता है ।
* प्राकृत व्याकरण *
महिला संस्कृत प्रथमा बहुवचनान्त स्त्रीलिंग संज्ञा रूप है इसका प्राकृत रूर महिलाओ होता है। इसमें सूत्र संख्या ३-२७ से मूल रूप 'महिला' में प्रथमा विभक्ति के बहुवचन में स्त्रीलिंग में संस्कृती प्राप्तव्य प्रत्यय 'जस' के स्थान पर प्राकृत में 'श्री' प्रत्यय की प्राप्ति होकर महिलाओ रूप सिद्ध हो जाता है।
'तं' रूप की सिद्धि सूत्र संख्या १-४१ में की गई है।
'एम' रूप की सिद्ध सूत्र संख्या १२० में की गई है।
'वर्ण' रूप की सिद्धि सूत्र संख्या १-१७२ में की गई है ।
८६ ।।
वादसदस्य होनोदम् ॥ ३-८७ ॥
अदसो दकारस्य सौ परं ह यादेशो वा भवति तस्मिंश्च कृते श्रतः सेड (३३) इत्यत्वं शेर्पा संस्कृत वत् (४-४४८) इत्यतिदेशात् आत् हे० २-४ ) इत्याप् क्लीचे स्वरान्म से: (३-२५) इतिमश्च न भवति । अह पुरियो । अह महिला । अह व अह मोहो पर-गुण- लहुअयाइ || अह ये हिश्रएण हसइ मारुय तणओ | असावस्मान् हसतीत्यर्थेः । कमल-मुही | पत्रे | उत्तरेण मुरादेशः । अमू पुरिसो । अमू महिला । अवणं ॥
अर्थः - संस्कृत सर्वनाम शब्द 'अदस्' के तोनों लिंगों में प्रथमा विभक्ति के एकवचन में संस्कृती प्राप्तव्य प्रत्यय 'मि' परे रहने पर प्राकृत रूपान्तर में प्राप्त प्रत्यय मि' का लोप उस समय में हो जाता है जब कि मूल शब्द 'श्रदस्' में स्थित 'द' के स्थान पर 'ह' श्रादेश प्राप्ति वैकल्पिक रूप सं होती है; इस प्रकार तीनों लिंगों में प्रथमा विभक्ति के एकवचन में समान रूप से दस का प्राकृ मैं 'अह' रूप वैकल्पिक रूप से हुआ करता है। इस विधान से पुल्लिंग में सूत्र संख्या ३.३ प्राप्तव्य प्रत्यय 'डो=ओ' की प्राप्ति भी नहीं होती है; ४-४४ और २-४ के निर्देश से पुल्लिंगत्व से स्त्रीलिंगत्व के निर्माण हेतु 'अस' में 'आ' प्रत्यय का सद्भाव भी नहीं होता है एवं ३ २७ से नपुंसकलिंग में प्राप्त प्रत्यय 'म्' की संयोजना भी नहीं होती है; यो तीनों लिंगों में प्रथमा के एकवचन में समान रूप से 'अदस्' का 'अह' रूप ही जानना । उदाहरण इस प्रकार है: -- असौ पुरुष: पुरियो अर्थात् वह पुरुष असौ महिला - अह महिला अर्थात् वह स्त्री और श्रदः वनम् = अह वणं अर्थात वह जंगल | यो यह ज्ञात होता है कि 'अदस्' के तीनों लिंगों में प्रथमा के एकवचन में समान रूप से 'यो का
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