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*प्राकृत व्याकरण *
'तम्हा' की मिशि सूत्र-संख्या ३.६६ में की गई है। ३.६७ ।।
किमो डिगो होसौ ॥ ३.६८ ॥ किमः परस्य ङसेर्डिगो डीस इत्यादेशी वा भवतः ॥ किणो । कीस । कम्हा ॥
अर्थ:-संस्कृत सर्वनाम किम्' के प्राकृत रूपान्तर 'क' में चमो विभक्ति के एकवचन में संस्कृतीय प्राप्तव्य प्रत्यय 'सिम्यम्' के स्थान पर प्राकृत में वैकल्पिक रूप से 'हिणी और डोस प्रत्ययों की आदेश-प्राप्ति हुआ करती है। आदेश प्राप्त प्रत्यय 'डियो और डोस' में स्थित 'ड' इत्संज्ञक हैं; तदनुसार प्राकृतीय अंग-प्राप्त रूप'क' में स्थित अन्त्य स्वर 'श्र की इसंज्ञा होकर इस 'अ' का लोप हो जाता है एवं तत्पश्चात् शेषांग हलन्त 'क' में आदेश प्राप्त प्रत्यय 'इण्णा और ईस' की कम से और वैकल्पिक रूप से संयोजना होती है। जैसे:- कस्मात-किरणो और कीस । वैकल्पिक पन होने से (कस्मात=) कम्हा रूप का भी सद्भाव जानना चाहिये ।
कस्मात संस्कृत पञ्चमो एकवचनान्त पुल्लिग के सर्वनाम का रूप है। इसके प्राकृत रूप किणो, कीस और कम्हा होते हैं। इनमें से प्रथम के दो रूपों में सूत्र संख्या ३-७१ से मूल संस्कृत शब्द 'किम्' के स्थान पर प्राकृत में 'क' अंग की प्राप्ति और ३-६८ से प्राप्तांग 'क' में पंचमी विभक्ति के एकवचन में संस्कृतीय प्राप्तव्य प्रत्यय 'मि-अस्' के स्थान पर प्राकृत में कम से एवं वैकल्पिक रूप से 'डियो - इणो' और 'डीस = ईस' प्रत्ययों की आदेश प्राप्ति होकर क्रम से और वैकल्पिक रूप से प्रथम दोनों रूप-किणी और कीस सिद्ध हो जाते हैं । कम्हा की सिद्धि सूत्र-संख्या ३.६ में की की गई है।
इदमेतक-यत्तभ्य ष्टो डिण ॥ ३-६६ ॥एम्यः सर्वादिभ्योकारान्ते . भ्यः परस्याष्टायाः स्थाने डित् इणा इत्यादेशो या भवति ॥ इमिणा ! इमेण ॥ एदिणा । एदेण ॥ किणा ! के" ॥ जिणा । जैण । तिणा । तेण ।।
अर्थ:--संस्कृत सर्वनाम 'इदम् एतद्, क्रिम, यद्' और तद् के क्रम से प्राप्त प्राकृतीय प्रकारान्त रूप 'इम. एद (शौरसेनी रूप), क, ज, और त' में तृतीया विभक्ति के एकवचन में पुल्लिंग में संस्कृतीय प्रत्यय 'टा' के स्थान पर प्राकृत में वैकल्पिक रूप से 'लिणा' प्रत्यय की श्रादेश-माप्ति हुआ करती है। आदेश प्राप्त प्रत्यय 'डिणा' में स्थित 'ड्' इत्संज्ञक है तदनुसार प्राकृतीय प्राप्तांग 'इम, एक, क, ज
और त' में स्थित अन्त्य स्वर 'अ' को इत्संज्ञा होकर इस 'अ' का लोप हो जाता है और तत्पश्चात कम से प्राप्तांग हलन्त शब्द 'इम्, एदू, क, ज, और त्' में उपरोक्त हिणा-इणा' प्रत्यय की वैकल्पिक रूप से संयोजना हुआ करती है । उपरोस्त सर्वनामों के कम से उदाहरण इस प्रकार हैं:-अनेन -