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* प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित *
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न बानिदमेतदो हिं ॥ ३-६० ।इदम् एतद्वर्जितात्स दरदन्तात्परस्य है। हिमादेशो वा क्षति !! सव्वहिं । अन्नहिं । कहिं । जहि । तहिं | पहुलाधिकारात् किंयत्तद्भ्यः स्त्रियामपि । काहिं । जाहिं । ताहिं 11 राहुलकादेव किंवत्तदोस्यमामि (३-३३) इति की स्ति ॥ पचे। सन्यास्सि । सवम्मि । सन्चत्य | इत्यादि ॥ स्त्रियां तु यचे । काए । कीए । आए । जीए । साए । तीए ।। इदमेतद्वर्जनं किम् । इमस्सि । एअसि ।।
___ अर्थ:--इदम् हम और एतत् = एन सर्वनामों के अतिरिक्त अन्य सर्व-सव्व धादि अकारान्त सर्वनामों के प्राकृत रूपान्तर में सप्तमी विभक्ति के एकवचन में संस्कृततीय प्रत्यय 'बि' के स्थान पर वैकल्पिक रूप से 'हि' आदेश की प्राप्ति हुआ करती है । जैसे:-सवस्मिन् सम्वहिं । अन्यस्मिन् धन्नहिं । कस्मिन् कहिं । यस्मिन-महिं और सस्मिन्=तहिं । 'बहुलम् सूत्र के अधिकार से 'किम्' 'यत' और 'तम्' सर्षनामों के स्त्रीलिंग रूपों में भी सप्तमा विभक्ति के एकवचन में संस्कृतीय प्राप्तव्य प्रत्यय 'डिन्द' के स्थान पर प्राकृत में 'हि' प्रत्यय की प्राप्ति हुआ करती है । जैसे:-कायाम् काहिं; यस्याम् जाहिं और तस्याम् ताहि । 'बटुलम्' सूत्र के अधिकार से हो किम्', 'यात' और 'तत' मर्वनामों के स्त्रीलिंगत्व के निर्माण में सूत्र-संख्या ३-३३ के विधान से प्राप्तव्य स्त्रीलिंग बोधक प्रत्यय "काई' की प्राप्ति उपरोक्त 'काहि-जाहि-ताहि' 'नदाहरणों में नहीं हुई है। अर्थात प्राप्तब्य रूप की, जी, नी, के स्थान पर 'का. जा, ता 'रूपों की प्राप्ति 'बहुलम्' सूत्र के अधिकार से जानना; ऐसा तात्पर्य अंथ कर्ता का है।
उपरोक्त सप्तमी विभक्ति के एकवचन में प्रत्यय 'हि' की प्राप्ति बकल्पिक रूप से बतनाई गई है; तदनुमार जहाँ पर 'हि' प्रत्यक्ष की प्राप्ति नहीं होगी वहां पर सूत्र-संख्या ३-१९ के विशनानुसार 'मि-म्मि-स्थ' प्रत्यय की प्राप्ति होगी । जैसे:-सर्वसिमम् = सम्वस्सि, मम्मि और सम्बत्य; यो अन्य उदाहरणों की भी कल्पना कर खना चाहिये । स्त्रीलिंग वाले सर्वनामों में भी जहां सप्तमी विभक्ति के एकवचन में हि' प्रत्या की वैकल्पिक पक्ष होने से प्राप्त नहीं होगी; वहां पर सूत्र-संख्या 3-के अनुमार 'अ, (प्रा), इ और 'ए' प्रत्यगे की प्राप्ति होती है । जैसे:-कस्याम-काए अथवा कीए; यत्याम-जाए अथवा जीण और नस्याम्=ताए अथवा सीए इत्यादि ।
प्रश्नः--इएम् - इम और पतत एव सर्वनामों को 'अकारान्त होने पर भी' उपरोक्स हिं' प्रत्वम के विधान से पृथक क्यों रखा गया है ?
उत्तर:- कि प्राफत-भाषा के परम्परात्मक प्रवाह में उपरोक्त 'इम' और 'ग' सर्वनामों में सप्तमी विभक्ति के एकवचन में संस्कृतीय प्राप्तव्य प्रत्यय 'कि के स्थान पर 'हि' (आदेश)