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* शियोदय हिन्दी व्याख्या सहित
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सूत्र संख्या १-१७७ से 'त' का लोग; १-१३५ से लोग हुए न क पश्चात शेष रहे 'ऋ' के स्थान पर वैकल्पिक रूप से 'इ' की प्राप्ति ३-१३१ से चतुर्थी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का योगदान; ३-१२ से प्राप्तांग माद' में स्थित अन्त्य हृम्य स्वर 'इ' के आगे पछी विभक्ति के बहुवचन-बोवक त्यय का सद्भाव होने से' दीघ 'ई' की प्राप्ति और अन्त में ३.६ से षष्ठी विभक्ति के बहुवचन में संस्कृतीय प्रत्यय श्राम' के स्थान पर प्राकृत में 'ण' प्रत्यय की प्राप्ति होकर माईण रूप सिद्ध हो जाता है ।
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मात्रा संस्कृत तृतीयान्त एकवचन का रूप है । इसका प्राकृत रूपमाऊर होता है। इसमें सूत्र संख्या १-१७७ से मूल संस्कृत शब्द 'मातृ' में स्थित 'त्' का लोप; ३-५४ से लोप हुए 'तू' के पश्चात् शेष रहे हुए 'ऋ' के स्थान पर 'उ' की प्राप्ति; और ३-२६ से तृतीया विभक्ति के एकवचन में संस्कृतीष प्रत्यय 'टा' के स्थान पर प्राप्तरंग 'माड' में स्थित अन्त्य ह्रस्व स्वर 'ब' को दीर्ष स्वर 'ऊ' की प्राप्ति कराते हुए 'ए' प्रत्यय की प्राप्ति होकर माऊए रूप सिद्ध हो जाता है ।
तिम् संस्कृत विशेषणात्मक रूप है। इसका प्राकृत रूप समधिं होता है। इसमें सूत्र संख्या २-७९ से 'व' का लोप; १८६ से लोप हुर 'व्' के पश्चात् शेष रहे हुए 'न' को द्वित्व 'अ' की माप्ति: १-१७७ से 'तू' का लोप ३-२४ से प्रथमा विभक्ति एकवचन में अकारान्त नपुंसक लिंग में माकृत में 'म' प्रत्यय की प्राप्ति और १-२३ से 'म' का अनुस्वार होकर समन्नि रूप सिद्ध हो जाता है ।
'' (क्रियापद) रूप की सिद्धि सूत्र संख्या १-२४ में की गई है।
मातृ देव: संस्कृत रूप है। इसका प्राकृत रूप माइ-देवी होता है। इसमें सूत्र संख्या १-१७७ से 'लू' का लेप; १-१३५ से लोप हुए 'तू' के पश्चात् शेष रहे हुए 'ऋ के स्थान पर 'इ' की प्राप्ति; और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एकवचन में अकारान्त पुल्लिंग में संस्कुतीय प्रत्यय 'सि' के स्थान पर 'डोयो' की प्राप्ति होकर माह-देषो रूप सिद्ध हो जाता है ।
मातृ-मणः संस्कृत रूप है। इसका प्राकृत रूप माइ-गणो होता है। इसमें 'माइ-देवो' में प्रयुक्त सूत्रों से साधना की प्राप्ति होकर माहमणो रूप सिद्ध हो जाता है । ३-४६ ।।
नाम्न्यरः || ३-४७ ॥
ऋदन्तस्य नाम्नि संज्ञायां स्यादौ परे घर इत्यन्तादेशो भवति ।। पिारा । विश्वरं । विश्वरे । पिश्ररेण । विश्ररेहिं जामायरा । जामायरं । जामायरे । जामायरेण । जामाचरेहिं । मायरा | भायरं । मायरे । भायरे । मायरेहिं ||
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