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* प्राकृत व्याकरगा
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'जस' शस्' के स्थान पर प्राकृत में 'णा प्रत्यय का कर गामणिको रूप सिद्ध हो जाता है ।
खलप्यः संस्कृत एवमानद्वतीया के बहुवचनान्त रूप है। उसका प्राकृत रूप खलपुगो होना है। इसमें सूत्र संख्या ३-४३ मे सूज शब्द 'ख' में स्थित अन्त्य ऊ के स्थान पर ह्रस्व स्वर 'ख' की प्राप्ति और ३२६जस शस के स्थान पर प्राकृत में णों' प्रत्यय की प्राप्ति होकर 'ख' मा है । ३-४३ ।।
ऋतामुदस्यमी वा ॥ ३-४४ ॥
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। मत्तू |
| टा |
सि अम् वर्जिते अर्थात् स्यादी परे दन्तानामुदन्तादेशो वा भवति ।। जस् मत्चुणी | भत्तउ । भत्तयो । पत्रे । भत्ता | शस् । भत्तु भक्षूणां । पक्षे भत्तारे मत्तुणो । पञ्चे । भत्तारंग ।। मिम् । मर्दि | पक्ष भत्तार िङसि । मत्चुगो भत्तश्रो । मत् । भहिं । भत्त हिन्ती । पक्ष । भत्तारायां । मत्त राउ । भत्ताराहि । मत्ताराहिन्तो । भत्तारा । ङ स् । भत्तुणो । भत्तु स्म । पक्ष भत्तारस्य । सुप् । भसूसु | पक्ष । भचारेषु ॥ बहुवचनस्य व्याप्त्यर्थत्वात् यथां दर्शनं नाम्न्यपि उद् व भवति जम् शस्-ङ सिङस्-सु । पिडो जामाउणी | भाउणो || टायाम् । पिउ || पिंक ि सुवि । विऊखु । पते । पिश्ररा। इत्यादि ।। अस्य मौस्थिति किम् / मि । पिश्रा
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॥ अम् । पिअरं ॥ । पिवरा ||
अर्थ :- संस्कृत ऋकारान्त शब्दों के प्राकृत-रूपा तर में प्रथमा विभक्ति के एकवचन के प्रत्यय 'सि' द्विवचन के प्रत्यय 'औ' और द्विताया विभक्ति के एकवचन के प्रत्यय अम्' के सिवाय अन्य किसी भी विमति के एकवचन के अथवा बहुवचन के प्रत्ययों को संयोजना होने पर शब्द के अन्त्य स्वर '' के स्थान पर वैकल्पिक रूप से उ' की प्राप्ति होता है और तत्पश्चात् उकारान्त के समान ही इन तथाकथित हन्तुमकारान्त शब्दों में विभक्ति-बाधक प्रत्ययों का सयोजना हुआ करता है। जैसे:- प्रथमा विभक्ति के बहुवचन में 'ज' प्रत्यय की प्राप्त होने पर म के रूप-र' के प्राकृत रूपान्तर भत्त ू, 'भत्ता, भत्त और मत्त होते हैं । एवं वैकल्पिक पक्ष होने से 'भत्ताग' रु। भी होता है । । द्वितीया विभक्ति बहुवचन के शस् प्रत्यय के उदाहरणः- भर्तृनमत्त भसो तथा वैकल्पिक पक्ष में भत्तारे भी होता है। तृतीया विभक्ति के एकवचन के 'टा' प्रत्यय का उदाहरण:ममता और वैकल्पिक पक्ष में भत्तारण होता है । तृतीया बहुवचन के प्रत्यय 'मिस का उदाहरण:-मदभिः भत्तहिं और वैकल्पिक पक्ष में सत्तारहिं इत्यादि होते है । 'उस' पंचमी विभक्ति
एकवचन के उदाहरणः भत्त भत्तो, भत्त श्रो, भत्त, मन्त हि और भत्त हिन्तो तथा वैकल्पिक पक्ष में भशाराम महागर, असाराहि मत्ताराहिन्तो और भत्तारा होते है । 'स' ठी विक्ति
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