________________
सुनि सभा एवं उनका पुरोग
उधर राम श्रीर कुम्भकरण में, लक्ष्मण और इन्द्रजीत में युद्ध होने लगा | लक्ष्मण ने नागपानी विद्या से इन्द्रजीत को मूर्च्छित करके पकड़ लिया। इसी तरह राम ने कुम्भकरण को मूच्छित करके विराधित उसे उठा ले गया ।
३६
दूसरी भोर रावण और लक्ष्मण में युद्ध होने लगा। रावण ने लक्ष्मण को शक्तिवारण से मूति कर दिया। राम रावण युद्ध हुआ लेकिन रावण वध के निकल गया। वह लंका में चला गया । उसे इस बात की प्रसन्नता थी कि उसने लक्ष्मण को मार दिया । लक्ष्मण को सूचित देख कर राम विलाप करने लगे। उधर मन्दोदरी कुम्भकर्णी एवं इन्द्रजीत के मरने के कारण तथा सीता लक्ष्मण के मूच्छित होने के कारण रोने लगी। उसी समय भामण्डल चन्द्रप्रति नामक वैद्य को लाया जो शक्ति बाण की मूर्च्छा को दूर करने का उपाय जानता था । उसने कहा कि विशल्या के स्नान का यदि जल मिल जाये तो लक्ष्मण की मूर्च्छा दूर हो सकती है। हनुमान एवं प्रांगद को तत्काल प्रयोध्या भेजा गया । वहां जाकर भरत की सहायता से विधात्या को साथ लिया । विशल्या लंका भार्या और मच्छित नक्ष्मण के शक्ति बाण के प्रभाव को दूर किया । लक्ष्मण को होश में आने पर मंत्रियों ने रावण को पुनः समझाया लेकिन उसने किसी की बात नहीं सुनी। रावण ने अपना दूत राम के पास भेजा तथा इन्द्रजीत एवं कुम्भकरण को छोड़ने के लिए कहा। राम ने सीता को छोड़ने की बात दोहरायी । दूत ने सीता को भूल जाने को कहा इस पर राम ने दूत को धक्का देकर बाहर निकाल दिया |
रावण पूरा व्रती पर। अष्टानिका में युद्ध बन्द हो गया। वह विद्या सिद्धि के लिए चला गया और वह घ्यानारूड हो गया। रावण के सामने जब विद्याएं प्रकट हुई तो उनसे राम लक्ष्मण को बांधने के लिए कहा लेकिन विद्यार्थीों ने अपनी असमर्थता प्रगट कर दी। रावण रण्वास में वापिस भा गया उसने समझा कि उसे विद्या सिद्ध हो गयी हैं। मंत्रियों ने रावण से सीता को फिर छोड़ने के लिए समझाया लेकिन उसने एक भी नहीं सुनी।
लग जाता । जैसे-जैसे
रावण अपनी पूरी सेना के साथ फिर युद्ध के लिये उतर पड़ा । लक्ष्मण रात्र में युद्ध होने लगा। स्वर्ग के देवता गए भी दोनों के युद्ध देखने लिए भा गये । रावण का एक सिर टूटता लेकिन उसकी जगह दूसरा लक्ष्मण उन्हें काटता वे दूने हो जाते । श्राखिर रावण ने दिया । चक्र की प्रभा से चारों ओर प्रकाश हो गया। सभी लेकिन वह च लक्ष्मण के हाथ भा गया। फिर लक्ष्मण ने उसी चक्र को रावण के ऊपर चला दिया जिससे रावण के हृदय के टुकडे टुकले हो गये और उसके प्राणों का अन्त हो गया।
लक्ष्मण पर चक चला योद्धा चकित रह गये