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तृतीय प्रकरण भक्तप्रत्याख्यान में स्त्री के लिए नाग्न्यलिंग नहीं प्रसंगवश यहाँ एक दीर्घकालीन मिथ्याधारणा का निराकरण आवश्यक है। प्रायः सभी विद्वानों, मुनियों एवं आर्यिकाओं की धारणा है कि भगवती-आराधना में भक्तप्रत्याख्यान (सल्लेखना में संस्तरारूढ़ होने) के समय आर्यिकाओं और श्राविकाओं के लिए मुनि के समान नाग्न्यलिंग ग्रहण करने का विधान किया गया है। किन्तु यह धारणा भ्रान्तिपूर्ण
भगवती-आराधना की निम्नलिखित गाथा में स्त्रियों के द्वारा भक्त-प्रत्याख्यान (सल्लेखना) के समय धारण किये जाने योग्य लिङ्गों का वर्णन किया गया है
इत्थीवि य जं लिंगं दिलृ उस्सग्गियं व इदरं वा। '
तं तत्थ होदि हु लिंगं परित्तमुवधि करेंतीए॥ ८०॥ अनुवाद-"स्त्रियों के भी जो औत्सर्गिक और आपवादिक लिङ्ग आगम में कहे गये हैं, वे ही भक्तप्रत्याख्यान के समय में भी उनके लिङ्ग होते हैं। आर्यिकाओं का एकसाड़ीमात्र-अल्पपरिग्रहात्मक लिङ्ग औत्सर्गिक लिङ्ग है और श्राविकाओं का बहुपरिग्रहात्मक लिङ्ग आपवादिकलिङ्ग है।"
इस अर्थ का समर्थन टीकाकार अपराजित सूरि के अधोलिखित वचनों से होता है-"स्त्रियोऽपि यल्लिङ्गं दृष्टमागमेऽभिहितम् औत्सर्गिकं तपस्विनीनाम् 'इदरं वां' श्राविकाणां 'तं' तदेव 'तत्थ' भक्तप्रत्याख्याने भवति। लिङ्गं तपस्विनीनां प्राक्तनम्। इतरासां पुंसामिव योज्यम्। यदि महर्द्धिका लज्जावती मिथ्यादृष्टिस्वजनाश्च तस्याः प्राक्तनं लिङ्गम्। विविक्ते त्वावसथे उत्सर्गलिङ्गं वा सकलपरिग्रहत्यागरूपम्। उत्सर्गलिङ्गं कथं निरूप्यते स्त्रीणामित्यत आह-तदुत्सर्गलिङ्गं स्त्रीणां भवति 'परित्तं' अल्पं 'उवधिं' परिग्रहं 'करेंतीए' कुर्वत्याः।" (विजयोदया टीका / भगवती-आराधना गाथा ८०)।
अनुवाद-"स्त्रियों के भी जो लिङ्ग आगम में बतलाये गये हैं, अर्थात् तपस्विनियों (आर्यिकाओं) का औत्सर्गिक और श्राविकाओं का आपवादिक, वे ही भक्तप्रत्याख्यान में भी होते हैं। तपस्विनियों का लिङ्ग तो पूर्वगृहीत अर्थात् औत्सर्गिक (एक-साड़ीरूप अल्पपरिग्रहात्मक) ही होता है, श्राविकाओं का लिङ्ग पुरुषों के समान समझना चाहिए। अर्थात् श्राविका यदि अतिवैभवसम्पन्न है या लज्जाशील है अथवा उसके परिवारजन विधर्मी हैं, तो अविविक्त (सार्वजनिक) स्थान में उसे पूर्वगृहीत लिङ्ग अर्थात् बहुपरिग्रहात्मक अपवादलिङ्ग ही दिया जाना चाहिए, किन्तु विविक्त (एकान्त ) स्थान में सकलपरिग्रहत्यागरूप उत्सर्गलिङ्ग दिया जा सकता है। यहाँ प्रश्न उठता है कि स्त्रियों के
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