Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 885
________________ प्रयुक्त ग्रन्थों एवं शोधपत्रिकाओं की सूची / ८२९ प्रकाशक : श्री दिगम्बर जैन युवकसंघ, ललितपुर। वीर नि० सं० २४५८। ९३. जैनाचार्य परम्परा महिमा (३४९ श्लोकात्मक ग्रन्थ, अप्रकाशित) : रचयिता-श्रवण बेलगोल के ३१ वें भट्टारक श्री चारुकीर्ति। इस ग्रन्थ के नाम एवं संस्कृत पद्यों का उल्लेख श्वेताम्बराचार्य श्री हस्तीमल जी ने अपने ग्रन्थ 'जैनधर्म का मौलिक इतिहास', भाग ३ में पृष्ठ १५२ से १७७ तक किया है और लिखा है कि यह अप्रकाशित ग्रन्थ आचार्य श्री विनयचन्द्र ज्ञान भण्डार शोध प्रतिष्ठान, लालभवन, चौड़ा रास्ता, जयपुर-३ में उपलब्ध ९४. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश (भाग १-४) : क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी। भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, नयी दिल्ली। ई० सन् १९८५, १९८६, १९८७, १९८८। ९५. ज्ञाताधर्मकथाङ्गसूत्र : (ज्ञातृधर्मकथाङ्ग)। आगम प्रकाशन समिति ब्यावर। ई० सन् १९८१। - प्रधान सम्पादक : युवाचार्य श्री मिश्रीलाल जी महाराज 'मधुकर'। - अनुवादक - विवेचक - सम्पादक : पं० शोभाचन्द्र भारिल्ल। ९६. ज्ञानार्णव : आचार्य शुभचन्द्र। श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, अगास। ई० सन् १९७५। ९७. डॉ० सागरमल जैन अभिनन्दन ग्रन्थ । पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी। ई० सन् १९९८।। ९८. तत्त्वनिर्णयप्रासाद : श्वेताम्बराचार्य मुनि श्री विजयानन्द सूरीश्वर 'आत्माराम'। प्रसिद्धकर्ता : अमरचंद पी० (पद्मा जी) परमार, मुम्बई। ९९. तत्त्वार्थकर्तृ-तन्मतनिर्णय : सागरानन्दसूरीश्वर जी महाराज (श्वेताम्बर)। प्रकाशक : श्री ऋषभदेव केशरीमल श्वेताम्बर संस्था रतलाम। वि० सं० १९९३। १००. तत्त्वार्थराजवार्तिक (तत्त्वार्थवार्तिक, भाग १, २) : भट्ट अकलंक देव। भारतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली। ई० सन् १९९३। - सम्पादक : प्रो० महेन्द्र कुमार जैन, न्यायाचार्य। १०१. तत्त्वार्थवृत्ति : श्रुतसागर सूरि। भारतीय ज्ञानपीठ काशी। ई० सन् १९४९ । - प्रस्तावना : प्रो० महेन्द्रकुमार जैन न्यायाचार्य। १०२. तत्त्वार्थसार : अमृतचन्द्रसूरि । सम्पादक : पं० पन्नालाल साहित्याचार्य। श्री गणेशप्रसाद वर्णी ग्रन्थमाला, वाराणसी,। ई० सन् १९७०। ३। Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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