Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 901
________________ प्रयुक्त ग्रन्थों एवं शोधपत्रिकाओं की सूची / ८४५ वर्ष किरण मास वीर नि० सं० वि० सं० ई० सन् १ ५ चैत्र " १९८६ १९२९ १ ६-७ वैशाख-ज्येष्ठ , १९८७ १९३० १ ८-९-१० आषाढ़-श्रावण-भाद्रपद , १ ११-१२ आश्विन-कार्तिक , अनेकान्त (मासिक) के निम्नलिखित अंकों का सम्पादन-स्थान : वीरसेवा मंदिर, समन्तभद्राश्रम, सरसावा (जिला-सहारनपुर) उ० प्र०। वर्ष किरण मास वीर नि० सं० वि० सं० ई० सन् २४६५ کی کم १९३८ १९३८ १९३९ १९३९ १९३९ १९४१ ५ १०-११ १९४२ १९४३ ५ ६ ६ १२ १०-११ १२ पौष, जनवरी १९९५ फाल्गुन, मार्च चैत्र, अप्रैल १९९६ आषाढ़, जुलाई प्रथम श्रावण, अगस्त फरवरी - १९९८ कार्तिक-मार्गशीर्ष, नवम्बर-दिसम्बर २४६९ १९९९ पौष, जनवरी मई-जून २००१ श्रावण शुक्ल, जुलाई २४७० २००१ भाद्र०-आश्विन, अगस्त-सितम्बर कार्तिक-मार्गशीर्ष अक्टूबर-नवम्बर २४७१ २००१ मास वीर नि० सं० वि० सं० पौष-माघ दिसम्बर-जनवरी ॥ फाल्गुन-चैत्र, फर०-मार्च२००१-२ ॥ फरवरी १९४४ १९४४ १९४४ ३-४ GGGG १९४४ ई० सन् वर्ष किरण ७-८ १९४४-४५ १९४५ १९४६ २. ८ ४-५ Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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