Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 902
________________ ८४६ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड ३ वर्ष किरण मास वीर नि० सं० वि० सं० ई० सन् ८ १०-११ मार्च-अप्रैल २४७३ २००४ १९४७ ८ १२ आश्विन, अक्टूबर २४७३ , १९४७ (वर्ष ८ के मास-सम्बन्धी अनियमित उल्लेख के कारण का निर्देश इसी अंक ___(अक्टूबर १९४७) के आवरण पृष्ठ २ पर किया गया है।) वर्ष किरण मास वीर नि० सं० वि० सं० ई० सन् १४ ६ माघ, जनवरी २४८३ २०१३ १९५७ २८ १ महावीर निर्वाण विशेषांक २५०१ २०३२ १९७५ ४६ २ अप्रैल-जून २५१८ २०५० १९९३ २. जिनभाषित (मासिक) मई २००३-सम्पादक : प्रो० रतनचन्द्र जैन, भोपाल, म०प्र० । प्रकाशक-सर्वोदय जैन विद्यापीठ, १/२०५, प्रोफेसर्स कॉलोनी, आगरा (उ०प्र०)। ३. जैन सिद्धान्त भास्कर (भास्कर) मासिक भाग किरण मास ई० सन् जून १९४२ १० २ जुलाई १९४३ जून १९४४ १३ २ २३ २ ४. जैनहितैषी (मासिक)-सम्पादक और प्रकाशक : श्री नाथूराम प्रेमी। भाग किरण मास वीर नि० सं० ई० सन् वैशाख-ज्येष्ठ २४३७ १९१० आषाढ़ २४३७ १९१० भाग किरण मास वीर नि० सं० ई० सन् ७ १०-११ श्रावण-भाद्र २४३७ १९१० मार्गशीर्ष २४३८ १९११ ११ १०-११ श्रावण-भाद्र २४४१ १९१४ ५. धर्ममंगल (मासिक), १६ मई १९९७–सम्पादिका : प्रा० सौ० लीलावती जैन। ४/५, भीकमचंद जैननगर, जलगाँव (महाराष्ट्र)। Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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