Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 903
________________ प्रयुक्त ग्रन्थों एवं शोधपत्रिकाओं की सूची /८४७ ६. प्राकृतविद्या, जनवरी-मार्च १९९६-सम्पादक : डॉ० सुदीप जैन । (प्राकृत भवन), १८-बी, स्पेशल इन्स्टीट्यूशनल एरिया, नई दिल्ली ११००६७। ७. शोध (साहित्य-संस्कृति-गवेषणा-प्रधान पत्रिका), अंक ५/१९८७-८८ ई०–सम्पादक : डॉ० बनारसीप्रसाद भोजपुरी एवं डॉ० राजाराम जैन। नागरी प्रचारिणी सभा आरा (भोजपुर, बिहार)। अंक १२-१३ (संयुक्तांक)। ई० सन् १९९९-२०००, २०००-२००१ । सम्पादक : प्रो० (डॉ०) राजाराम जैन। ८. शोधादर्श-४८, नवम्बर २००२ ई०-प्रधान सम्पादक : श्री अजितप्रसाद जैन। सहसम्पादक : श्री रमाकान्त जैन। प्रकाशक : तीर्थंकर महावीर स्मृति केन्द्र समिति, उ० प्र०, पारस सदन, आर्यनगर, लखनऊ २२६ ००४। ९. श्रमण (त्रैमासिक शोध पत्रिका सम्पादक : प्रो० सागरमल जैन। पार्श्वनाथ विद्यापीठ । वाराणसी)। - १. अक्टूबर-दिसम्बर १९९७ ई०। - २. जुलाई-दिसम्बर २००५ ई०। - ३. अप्रैल-जून २००६ ई०। English Journals 1. Bombay University Journal, May 1933. (Yapaniya Sangh, A Jaina Sect : Dr. A.N. Upadhye) 2. The Indian Antiquary : A Journal of Oriental Researeh in Archae ology, History, Literature, Languages, Philosophy, Religion, Folklore etc. - 1. Vol. XIV, January 1885. - 2. Vol. XX, October 1891. - 3. Vol. XXI, March 1892. Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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