Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 899
________________ प्रयुक्त ग्रन्थों एवं शोधपत्रिकाओं की सूची / ८४३ २६८. सागारधर्मामृत : पं० आशाधर जी। प्रकाशक : मूलचन्द किशनदास कापड़िया, सूरत। ई० सन् १९४०। - हिन्दी-टीकाकार : पं० देवकीनन्दन सिद्धान्तशास्त्री। २६९. सिद्धहेमशब्दानुशासन (अष्टम अध्याय : प्राकृतव्याकरण) : 'कलिकालसर्वज्ञ' आचार्य हेमचन्द्र। २७०. सिद्धान्तसमीक्षा (भाग ३)-प्रकाशक : हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय,बम्बई। ई० सन् १९४५ । २७१. सिद्धान्ताचार्य पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री अभिनन्दन ग्रन्थ। २७२. सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्र शास्त्री अभिनन्दनग्रन्थ-प्रकाशक : सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्र शास्त्री अभिनन्दनग्रन्थ प्रकाशन समिति, वाराणसी। ई० सन् १९८५। २७३. सूत्रकृतांगसूत्र : (पंचम गणधर सुधर्मस्वामी-प्रणीत द्वितीय अंग)-प्रथम एवं द्वितीय भाग। प्रधान सम्पादक : श्री मिश्रीलाल जी महाराज 'मधुकर'। श्री आगमप्रकाशन समिति ब्यावर (राजस्थान)। २७४. सूर्यप्रकाश-परीक्षा : पं० जुगलकिशोर मुख्तार। प्रकाशक : जौहरीमल जैन सराफ, दरीवाँकला, देहली। ई० सन् १९३४।। २७५. सौन्दरनन्द (महाकाव्य) : अश्वघोष। प्रकाशक : चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, वाराणसी। २७६. स्त्रीनिर्वाण प्रकरण : ('शाकटायन व्याकरण' के साथ संलग्न। भारतीय ज्ञानपीठ। ई० सन् १९७१) : यापनीय-यतिग्रामाग्रणि-भदन्त-शाकटायनाचार्य, मूलनाम पाल्यकीर्ति (देखिए , पं० नाथूराम प्रेमी : 'शाकटायन और उनका शब्दानुशासन'। 'जैन सिद्धान्त भास्कर'/ भाग ९/ किरण १/ जून १९४२)। २७७. स्थानांगसूत्र (पंचम गणधर सुधर्म स्वामी-प्रणीत तृतीय अंग) : आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राज.)। - अनुवादक-विवेचक : पं० हीरालाल शास्त्री। २७८. स्वामी समन्तभद्र : पं० जुगलकिशोर मुख्तार। जैन ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, पो०-गिरगाँव, बम्बई। ई० सन् १९२५ । २७९. हरिवंशपुराण : आचार्य जिनसेन। भारतीय ज्ञानपीठ नयी दिल्ली। ई० सन् १९९८ । - सम्पादन-अनुवाद-प्रस्तावना : डॉ० पन्नालाल जैन साहित्याचार्य। २८०. हर्षचरित : बाणभट्ट। चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी। ई० सन् १९९८ । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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