Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 883
________________ प्रयुक्त ग्रन्थों एवं शोधपत्रिकाओं की सूची / ८२७ ६६. जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा-श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री। प्रकाशक श्री तारकगुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर (राज.)। ई० सन् १९७७। ६७. जैन कथामाला (भाग ४८) (आधारग्रन्थ : १. उपदेशमाला २. आख्यानक मणिकोश) : मधुकर मुनि। मुनिश्री हजारीमल स्मृति प्रकाशन, ब्यावर (राज.)। जैन तत्त्वविद्या : मुनि श्री प्रमाणसागर जी। भारतीय ज्ञानपीठ नयी दिल्ली। ई० सन् २०००। ६९. जैनधर्म : पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री। भारतीय दिगम्बर जैन संघ, चौरासी, मथुरा (उ.प्र.)। ई० सन् १९७५। जैनधर्म और दर्शन : मुनि श्री प्रमाणसागर जी। शिक्षा भारती, कश्मीरी गेट, दिल्ली -६। ई० सन् १९९६ । ७१. जैनधर्म का मौलिक इतिहास (प्रथमभाग) : आचार्य हस्तीमल जी। ७२. जैनधर्म का मौलिक इतिहास (द्वितीय भाग/द्वितीय संस्करण) : आचार्य हस्तीमल जी। जैन इतिहास समिति, जयपुर (राजस्थान) ई० सन् १९८७ । ७३. जैनधर्म का मौलिक इतिहास (तृतीय भाग / प्रथम संस्करण) : आचार्य हस्तीमल जी। जैन इतिहास समिति, जयपुर (राजस्थान)। ई० सन् १९८३। ७४. जैनधर्म का मौलिक इतिहास (चतुर्थ भाग) : आचार्य हस्तीमल जी। जैन इतिहास समिति, जयपुर (राजस्थान)। ई० सन् १९८७। ७५. जैन धर्म का यापनीय सम्प्रदाय : डॉ० सागरमल जैन। पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी। ई० सन् १९९६। ७६. जैनधर्म की ऐतिहासिक विकासयात्रा : डॉ० सागरमल जैन। प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म.प्र.)। ई० सन् २००४। ७७. जैनधर्म के प्रभावक आचार्य : साध्वी संघमित्रा। जैन विश्वभारती, लाडनूं (राज.)। ___ ई० सन् २००१ । ७८. जैनधर्म के सम्प्रदाय : डॉ० सुरेश सिसोदिया। आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर (राजस्थान)। ई० सन् १९९४। ७९. जैन निबन्धरत्नावली (प्रथम भाग) : पं० मिलापचन्द्र कटारिया एवं श्री रतनलाल कटारिया। प्रकाशक : श्री वीरशासन संघ, कलकत्ता। ई० सन् १९६६। ८०. जैन निबन्धरत्नावली (द्वितीय भाग) : पं० मिलापचन्द्र कटारिया। भारतवर्षीय दि० जैन संघ, चौरासी, मथरा। ई० सन् १९९० । Jain Education Intemational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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