Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra
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प्रयुक्त ग्रन्थों एवं शोधपत्रिकाओं की सूची / ८२५
३९. कसायपाहुडसुत्त : आचार्य गुणधर । श्री वीरशासन संघ, कलकत्ता । ई० सन् १९५५ । - चूर्णिसूत्र : आचार्य यतिवृषभ ।
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सम्पादन- अनुवाद - प्रस्तावना : पं० हीरालाल जैन सिद्धान्तशास्त्री ।
४०. कादम्बरी (पूर्वभाग ) : बाणभट्ट । मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली ।
संस्कृतटीका : श्वेताम्बराचार्य श्री भानुचन्द्र गणी ।
४१. कादम्बरी : बाणभट्ट । सम्पादक : आचार्य रामनाथ शर्मा 'सुमन' एवं राजेन्द्रकुमार शास्त्री । प्रकाशक : साहित्य भण्डार, सुभाष बाजार, मेरठ (उ०प्र०) / अष्टम संस्करण, ई० सन् १९९० ।
४२. कार्तिकेयानुप्रेक्षा : स्वामिकुमार । परमश्रुत प्रभावक मंडल, श्रीमद्राजचन्द्र आश्रम अगास (गुजरात) । ई० सन् १९७८ ।
अँगरेजी प्रस्तावना : प्रो० ए० एन० उपाध्ये । हिन्दी - अनुवाद : पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री ।
४३. कालिदास की तिथिसंशुद्धि : डॉ० रामचन्द्र तिवारी । ईस्टर्न बुक लिंकर्स दिल्ली । ई० सन् १९८९ ।
४४. काव्यानुशासन (स्वोपज्ञवृत्ति - सहित ) : वैयाकरण एवं काव्यशास्त्री, 'कलिकालसर्वज्ञ, ' आचार्य हेमचन्द्र। प्रवचन प्रकाशन, पूना । वि० सं० २०५८ ।
संस्कृत व्याख्या : पण्डित शिवदत्त एवं काशीनाथ ।
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४५. काव्यप्रकाश : मम्मटाचार्य । ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी । ई० सन् १९६० । - हिन्दी व्याख्या : विश्वेश्वर सिद्धान्तशिरोमणि ।
४६. कूर्मपुराण : हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग । ई० सन् १९९३ ।
४७. क्या दिगम्बर प्राचीन हैं ? लेखक : शिशु आचार्य नरेन्द्रसागर सूरि । शेठ श्री अभेचंद गुलाबचंद झवेरी परिवार, मुम्बई के सौजन्य से प्रकाशित । प्राप्तिस्थान - १. जम्बूद्वीप पेढ़ी पालीताणा, २. ज्ञानशाला गिरिराज सोसायटी पालीताणा । ई० सन् १९९५ ।
४८. खरा सो मेरा : डॉ० सुदीप जैन । कुन्दकुन्द भारती ( प्राकृत भवन ) नई दिल्ली। ई० सन् १९९९ ।
खारवेल प्रशस्ति : पुनर्मूल्यांकन - चन्द्रकान्तबाली शास्त्री । प्रतिभा प्रकाशन, दिल्ली। ई० सन् १९८८ । ५०. गुणस्थान - सिद्धान्त : एक विश्लेषण – डॉ० सागरमल जैन । पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी । ई० सन् १९९६ ।
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५१. गुरुपरम्परा से प्राप्त दिगम्बर जैन आगम : एक इतिहास- डॉ० एम० डी० वसन्तराज । श्री गणेश वर्णी दि० जैन संस्थान नरिया, वाराणसी - ५ । ई०
सन् २००१ ।
४९.
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