Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 882
________________ ८२६ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड ३ . ५२. गोम्मटसार-कर्मकाण्ड (भाग १,२) : आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती। भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, नयी दिल्ली। ई० सन् १९९६ । - जीवतत्त्वप्रदीपिका-कर्णाटवृत्ति : केशववर्णी। - कर्णाटवृत्ति का 'जीवतत्त्वप्रदीपिका' नाम से ही संस्कृतरूपान्तर : श्री नेमिचन्द्र। ५३. गोम्मटसार-जीवकाण्ड (भाग १, २) : आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ती। भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, नयी दिल्ली। ई० सन् १९९७ । - जीवतत्त्वप्रदीपिका-कर्णाटवृत्ति : केशव वर्णी। - जीवतत्त्वप्रदीपिका-संस्कृतरूपान्तर : श्री नेमिचन्द्र। ५४. चाणक्यशतक : आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य। ५५. छेदपिण्ड : आचार्य इन्द्र (इन्द्रनन्दी)। 'प्रायश्चित्तसंग्रह'-माणिकचन्द्र दि० जैन ___ ग्रन्थमाला (वि० सं० १९७८) में संगृहीत। ५६. छेदशास्त्र : (कर्ता अज्ञात-पु.जै.वा.सू. / प्रस्ता. / पृ.१०९) 'प्रायश्चित्तसंग्रह' माणिकचन्द्र दि. जैन ग्रन्थमाला (वि० सं० १९७८) में संगृहीत। ५७. जातक (तृतीय खण्ड)-अनुवादक : भदन्त आनन्द कौसल्यायन। हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग। ई० सन् १९९०। ५८. जातक-अट्ठकथा (सुत्तपिटक-खुद्दकनिकाय)-तृतीयभाग। विपश्यना विंशोधन विन्यास, इगतपुरी । ई० सन् १९९८। ५९. जातकपालि (सुत्तपिटक - खुद्दकनिकाय)-द्वितीयभाग। विपश्यना विशोधन विन्यास, __इगतपुरी। ई० सन् १९९८ । ६०. जातकमाला : आर्यशूर। सम्पादक-अनुवादक : सूर्यनारायण चौधरी। मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली। ई० सन् २००१ । ६१. जिनमूर्ति-प्रशस्ति-लेख : कमलकुमार जैन। श्री दिगम्बर जैन बड़ा मन्दिर छतरपुर __ (म.प्र.)। ई० सन् १९८२। ६२. जिनशासन की कीर्तिगाथा : डॉ० कुमारपाल देसाई। श्री अनिलभाई गाँधी (ट्रस्टी)। १०८ जैनतीर्थदर्शनभवन ट्रस्ट, श्री समवसरण महामन्दिर, पालिताणा-३६४२७०। ६३. जिनसहस्रनामटीका : श्रुतसागरसूरि। ६४. जिनागमों की मूलभाषा : डॉ० नथमल टाँटिया। प्राकृत टेस्ट सोसायटी, अहमदाबाद। ६५. जीवसमास : अज्ञात पूर्वधर आचार्य (जिनका नाम ज्ञात नहीं है)। अनुवादिका : साध्वी विद्युत्प्रभाश्री। पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी। ई० सन् १९९८। - भूमिका : डॉ० सागरमल जैन। Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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