Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 884
________________ ८२८ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड ३ ८१. जैन भारती : (दिगम्बर जैन नरसिंहपुरा नवयुवक मण्डल भीण्डर (मेवाड़) के मन्त्री द्वारा लिखित 'भट्टारक चर्चा' नामक पुस्तिका ( ई० सन् १९४१ ) में उद्धृत) ८२. जैन विद्या के आयाम - ग्रन्थाङ्क २ ( Aspects of Jainology, Vol. II) | पं० बेचरदास दोशी स्मृति ग्रन्थ । प्रकाशक : पार्श्वनाथ शोध संस्थान, वाराणसी, ई० सन् १९८७ । ८३. जैन शिलालेख संग्रह ( भाग १ ) : संग्रहकर्त्ता - डॉ० हीरालाल जैन। माणिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला समिति । वि० सं० १९८४ (ई० सन् १९२७)। ८४. जैन शिलालेख संग्रह ( भाग २ ) : संग्रहकर्त्ता - पं० विजयमूर्ति | माणिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला समिति मुम्बई । ई० सन् १९५२ । ८५. जैन शिलालेख संग्रह (भाग ३) : संग्रहकर्त्ता - पं० विजयमूर्ति । प्रकाशकमाणिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला समिति, मुम्बई । ई० सन् १९५७ । प्रस्तावना : डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी । ८६. जैन शिलालेख संग्रह (भाग ४) : संग्राहक - सम्पादक : डॉ० विद्याधर जोहरापुरकर | भारतीय ज्ञानपीठ काशी। वीर नि० सं० २४९१ । ८७. जैन साहित्य और इतिहास (प्रथम संस्करण ) : पं० नाथूराम प्रेमी | हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, हीराबाग, गिरगाँव, बम्बई । ई० सन् १९४२ । द्वितीय संस्करण : प्रकाशक- संशोधित साहित्य - माला, ठाकुरद्वार, बम्बई - २ । ई० सन् १९५६ । ८८. जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश (प्रथम खण्ड) : पं० जुगलकिशोर मुख्तार | वीरशासन संघ कलकत्ता । ई० सन् १९५६ । ८९. जैन साहित्य का इतिहास ( पूर्वपीठिका) : पं० कैलाशचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री | श्री गणेशप्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमाला, वाराणसी। वीर नि० सं० २४८९ । ९०. जैन साहित्य का इतिहास (भाग १, २) : सिद्धान्ताचार्य पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री । श्री गणेश प्रसाद वर्णी जैन ग्रन्थमाला वाराणसी। वीर निर्वाण सं० २५०२ । ९१. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास (भाग ३) : डॉ० मोहनलाल मेहता । पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोधसंस्थान, वाराणसी । ई० सन् १९६७। ९२. जैन साहित्य में विकार : पं० बेचरदास जैन । अनुवादक : तिलकविजय जी । - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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