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६१२ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड ३
अ०१८/प्र०५ विद्वद्वर पं० दरबारीलाल जी कोठिया ने अनेकान्त ( वर्ष ६/ किरण १०-११/ जून १९४४ ) में 'क्या नियुक्तिकार भद्रबाहु और समन्तभद्र एक हैं?' इस शीर्षक से एक लेख लिखकर प्रो० हीरालाल जी जैन की इस मान्यता का भी सप्रमाण खण्डन किया है कि नियुक्तिकार श्वेताम्बराचार्य भद्रबाहु ही स्वामी समन्तभद्र थे। कोठिया जी का यह लेख दशम अध्याय (प्रकरण ८/ शीर्षक २.१०) में उद्धृत किया जा चुका है।
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