Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 03
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra
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श्रमणी के लिए निषिद्ध पंचविध प्रायश्चित्त
৩৩ श्रवण ६७०, ६७४, ७५१ श्रवणार्यिका ६७०, ६७१, ६७३ श्रावक ७५४-७५७, ७७३, श्रावस्ती ४३२ श्रीभूति ७२३ श्रीमती श्रमणी ६३४ श्रीमन्दिरदेव मुनि (यापनीय) ६२४ श्रीविजयशिवमृगेशवर्मा (कदम्बवंश) ३७०,
३७२, ४१५ श्रीषेणमुनि ७५९ श्रुतकेवली ४२२, ६१७ श्रुतकेवलिदेशीय ३७८, ४१९, ४२२, ६१७ श्रुत (अंगप्रविष्ट, अंगबाह्य) ६१७, ७०९ श्रुततीर्थ ४४३ श्रुतधर मुनि ६३५ श्रुतसागर सूरि (भट्टारक, १५वीं शती ई०)
१६५ (अपवादवेष-विषयक भूल), १६६ (अपवादवेष-विषयक
भूलसुधार) श्रुतावर्णवाद ३४७ शृंगारशतक (भर्तृहरि) १०१ श्रेणिक (राजा) ६३५, ६४३ श्रेणिकनृप-कथानक (बृ. क. को.) ७५७ श्रेष्ठिकुल ७५० श्लोकवार्तिक (आ० विद्यानन्द) ५७९ श्वेतपटमहाश्रमणसंघ ३७० श्वेतपटसंघ ४१६ . श्वेताम्बरमत का प्रदर्शन १६५
शब्दविशेष-सूची / ८१५ षट्खण्डागम (छक्खंडागम) ५०७
- पुस्तक २ : ६०२ - पुस्तक ४ : २९१, ६०२ -पुस्तक ८ : ४०१, ७३७ -पुस्तक १२ : १७४, ४०९
- पुस्तक १३ : ३११, ३९६, ३९८ - धवलाटीका (आचार्य वीरसेन)
- पुस्तक १ : ८३, ४४३, ६९७, ७७० - पुस्तक २ : १८६ - पुस्तक ४ : ३७५, ६४९, ७३० - पुस्तक ५ : १८७ - पुस्तक ६ : ८३ - पुस्तक ९ : १७१, ५४५ -पुस्तक १० : २०६ - पुस्तक ११ : ७८४
- पुस्तक १२ : ५६६, ५७३ षटखण्डागम-परिशीलन (पं० बालचन्द्र
शास्त्री) १९७ षट्खण्डागम-प्रस्तावना, (प्रो०, डॉ० हीरालाल
जैन) ६२ षट्प्राभृत ३८८ षड्दर्शनसमुच्चय (हरिभद्रसूरि) - तर्करहस्यदीपिका वृत्ति (गुणरत्न)
५६, ६३९ षष्ठ (छह भुक्तियों का त्याग-प्रायश्चित्त) ७६६, ७७७
स संयतगुणस्थान २०० संयती २२३ संस्कृत-इंग्लिश डिक्शनरी (सर एम०
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