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६२२ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड ३
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(प्रतीत होता है कि 'संकलित आगमग्रन्थों को प्रमाण माननेवालें- इस वाक्य के कुछ शब्द मुद्रित नहीं हो पाये, इसलिए अर्थ अस्पष्ट हो गया है। लेखिका सम्भवतः यह कहना चाहती हैं कि जो आचार्य संकलित आगमग्रन्थों को प्रमाण मानता हो, वह यदि किसी सूत्र को न माने, तो उसे सूत्रावलम्बी तथा तीर्थंकराशतनाभीरु कहा जा सकता है। ऐसे आचार्य को सन्मतिसूत्रकार का सूत्रावलम्बी एवं तीर्थंकराशातनाभीरु कहना यही व्यक्त करता है कि वे ( सन्मतिसूत्रकार) भी सूत्रों को प्रामाणिक माननेवाली परम्परा के हैं ।)
दिगम्बरपक्ष
सन्मतिसूत्रकार ने श्वेताम्बरों की दृष्टि से ही श्वेताम्बर - आगमों को सूत्र कहा है और स्पष्ट किया है कि जिन्हें वे सूत्र कहते हैं और उनका उल्लंघन करने से तीर्थंकर की आशातना मानते हैं, उनके ही अनुसार क्रमवाद का खण्डन होता है। उन्हें उन सूत्रों पर भी दृष्टि डालनी चाहिए। यदि वे ऐसा करेंगे तो उन्हें क्रमवाद की असत्यता का बोध हो जावेगा । इस प्रकार सन्मतिसूत्रकार ने श्वेताम्बरों की ही भाषा का प्रयोग कर उनके ही आगमों के आधार पर क्रमवाद का खण्डन किया है। प्रतिपक्षी मत को खण्डित करने की यह सर्वाधिक प्रामाणिक पद्धति है । इसलिए श्वेताम्बरमत के खण्डन के लिए श्वेताम्बर - आगमों को श्वेताम्बरों की ओर से 'सूत्र' शब्द से अभिहित करते हुए प्रमाणरूप में प्रस्तुत करने से यह सिद्ध नहीं होता कि सिद्धसेन स्वयं भी उन्हें प्रमाण मानते थे । वस्तुतः उन्होंने तो श्वेताम्बर - आगमों के अन्तर्विरोधों को दर्शाकर उन्हें अप्रामाणिक सिद्ध किया है। वे दर्शाते हैं कि क्रमवाद भी सूत्र के अवलम्बन से ही सिद्ध होता है और अक्रमवाद भी सूत्र पर ही आधारित है। और ये दोनों एक ही अपेक्षा से सिद्ध होते हैं, भिन्न-भिन्न अपेक्षाओं से नहीं। इस प्रकार सूत्र अन्तर्विरोधों से भरा हुआ है, अतः वह अप्रामाणिक है। सिद्धसेन सन्मतिसूत्र में स्पष्ट कहते हैं कि उपर्युक्त परस्परविरुद्ध दो मतों में से अक्रमवाद ही स्वसमय (सम्यग् मत) है, क्रमवाद परतीर्थमत अर्थात् मिथ्यामत है
अ०१८ / प्र० ७
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साइ- अपज्जवसियं ति दो वि ते समसमओ हवइ एवं । परतित्थय वत्तव्वं च एगसमयंतरुप्पाओ ॥ २ / ३१॥
इस गाथा के द्वारा सिद्धसेन ने श्वेताम्बर - आगममान्य क्रमवाद को मिथ्या सिद्ध कर दिगम्बरमान्य युगपवाद के निकटवर्ती अभेदवाद को समीचीन सिद्ध किया है । यह सिद्धसेन के श्वेताम्बर या यापनीय न होकर दिगम्बर होने का ज्वलन्त प्रमाण है।
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