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अ०१६/प्र०७
तत्त्वार्थसूत्र / ४२७ लिखे जाने के प्रमाण उपलब्ध हैं। इससे भी सूत्रकार और भाष्यकार में कालभेद और उसके द्वारा उनका व्यक्तिभेद साबित होता है।
६. 'तत्त्वार्थ' में कोई भी सूत्र दिगम्बरपरम्परा के विरुद्ध नहीं है, जब कि श्वेताम्बरपरम्परा के विरुद्ध अनेक सूत्र हैं।
७. 'तत्त्वार्थ' के सूत्रों की रचना षट्खण्डागम, समयसार, पंचास्तिकाय, नियमसार प्रवचनसार, मूलाचार आदि दिगम्बरग्रन्थों के आधार पर हुई है।
८. तत्त्वार्थसूत्र के कर्ता दिगम्बर गृध्रपिच्छाचार्य हैं और भाष्य के कर्ता श्वेताम्बर उमास्वाति।
इन प्रमाणों से सिद्ध है कि तत्त्वार्थसूत्र दिगम्बरपरम्परा का ग्रन्थ है, श्वेताम्बरपरम्परा का नहीं।
उसमें यापनीयों को मान्य सवस्त्रमुक्ति, स्त्रीमुक्ति आदि के विरोधी सूत्र हैं तथा उसकी रचना यापनीयसम्प्रदाय की उत्पत्ति (पंचम शती ई० के आरंभ) से पूर्व (द्वितीय शती ई० में) हुई थी, इससे सिद्ध होता है कि वह यापनीयमत का भी ग्रन्थ नहीं
और उत्तरभारतीय-सचेलाचेल-निर्ग्रन्थ-सम्प्रदाय नाम का कोई सम्प्रदाय ही नहीं था, इसलिए तत्त्वार्थसूत्र का उक्त सम्प्रदाय का ग्रन्थ होना सर्वथा असंभव है।
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