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अ०१५/प्र०१
मूलाचार / २२१
मूलाचार की रचना यापनीयसंघोत्पत्ति-पूर्व आचार्य कुन्दकुन्द का समय नामक दशम अध्याय में सिद्ध किया जा चुका है कि मूलाचार की रचना ईसा की प्रथम शताब्दी के उत्तरार्ध में हुई है और यापनीयसंघ का उदय पञ्चम शताब्दी ई० के आरंभ में हुआ था। डॉ० सागरमल जी ने भी यापनीयसम्प्रदाय की उत्पत्ति ईसा की पाँचवी शताब्दी में बतलाई है। (देखिये, यापनीयसंघ का इतिहास' नामक सप्तम अध्याय / प्रकरण १/शीर्षक १०)।
इस प्रकार मूलाचार की रचना के समय यापनीय-सम्प्रदाय का उदय ही नहीं हुआ था, अतः वह यापनीय-परम्परा का ग्रन्थ नहीं हो सकता। इन बहुविध अन्तरंग
और बहिरंग प्रमाणों से यह तथ्य भलीभाँति दृष्टिगोचर हो जाता है कि मूलाचार दिगम्बरपरम्परा का ही ग्रन्थ है और उसके कर्ता वट्टकेर दिगम्बराचार्य ही हैं। अतः उसे यापनीयमत का ग्रन्थ कहना एक महान् असत्योक्ति है। .
२७. देखिए, दशम अध्याय / प्रथम प्रकरण / मूलाचार का रचनाकाल'।
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