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व्याख्यान १२ :
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प्रकार मेरे से कहे हुए उसके पूर्वभव के वृत्तान्त को तुम जब उस राजकुमार को कहोंगे तो वह सचेत हो जायगा ।
केवली के वचन को अंगीकार कर मंत्री आदि सब कुमार के पास आये और मंत्रीने उससे केवली द्वारा कहा हुआ सब वृत्तान्त सुनाया कि वह शीघ्र ही सचेत हो गया । फिर जातिस्मरण प्राप्त होने से कुमार केवली को वंदना करने को आया। मुनि को वन्दना कर पूर्व कर्मों का क्षय करने के लिये उसने तुरन्त ही दीक्षा ग्रहण की। उसके साथ ही साथ उन मंत्री आदिने वैराग प्राप्त कर चारित्र अंगीकार किया । राजकुमारी यशोमती यह वृत्तान्त सुन कर क्षणभर के लिए मूच्छित होगई परन्तु फिर तुरन्त ही सचेत होकर उसने भी संसार क्षणिक सुख से वैराग्य प्राप्त कर मा-बाप की आज्ञा से चारित्र ग्रहण किया । यह सब वृत्तान्त राजसेवकोंने जाकर धनद राजा से निवेदन किया ।
भुवनतिलकमुनि तीर्थंकरादिक दशों पद का विनय करने लगा यह देख कर उसका गुरु भी उसकी विनयगुण की प्रशंसा करने लगा। उसने बहतर लाख पूर्व तक चारित्र का प्रतिपालन किया और कुल अस्सी लाख पूर्व का आयुष्य पूर्ण कर अन्त में पादपोपगम अनशन ग्रहण कर केवलज्ञान प्राप्त कर अनन्त आनन्द के साम्राज्यरूप पद को प्राप्त किया ।
" हे भव्य जीवों ! इस भुवनतिलक मुनि के दृष्टान्त को