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श्री उपदेशप्रासाद भाषान्तर :
इस प्रकार गुरु के मुंह से सुन कर कमल यह विचारता हुआ घर गया कि-यह सूरि तो बड़ा भारी पंडित जान पड़ता है । फिर दूसरे दिन वह स्वयं ही गुरु के पास आकर बैठ गया तो गुरुने चित्रणी का लक्षण बतलाया किहे कमल ! चित्रणी स्त्री का काममंदिर (गुह्य भाग) गोलाकार होता है अपितु वह द्वार कोमल और अन्दर जल से आर्द्र होता है, तथा उस पर रोम बहुत होते हैं । उसकी दृष्टि चपल होती है, वह बाह्य संभोग (हास्य, क्रीड़ादि करने) में अधिक आसक्त होती है, वह मधुर वचनोंद्वारा पति को आनन्द देनेवाली होती है, तथा उसको नई नई वस्तुऐं अधिक प्रिय होती है । इस प्रकार सुन कर कमल घर लौट गया । तीसरे दिन फिर आने पर गुरुने शंखनी का स्वरूप बतलाया। चोथे दिन हस्तिनी के स्वरूप का वर्णन किया। फिर पांचवें दिन गुरुने कहा कि-हे कमल ! स्त्रियों के किस किस अंग में कौन कौन से दिन काम रहता है वह सुनोंअंगुष्ठे पदगुल्फजानुजघने नाभौ च वक्षस्थले, कक्षाकंठकपोलदंतवसने नेत्रेऽलके मूर्धनि । शुक्लाशुक्लविभागतो मृगदृशामंगेष्वनंगास्थितिमूर्ध्वाधोगमनेन वामपदगाः पक्षद्वये लक्षयेत् ॥१॥
भावार्थ:-पैर का अंगुठा, फण, घुटी, जानु, जंघा,