________________
. : ४०२ :
श्री उपदेशप्रासाद भाषान्तर : से सिंचा हुआ वह सर्प शुभ ध्यानपूर्वक पन्द्रह दिन का अनशन ग्रहण कर मृत्यु को प्राप्त कर सहस्रार देवलोक में देवता हुआ, जहां से चव कर वह थोड़े भव में ही मोक्षसुख को प्राप्त करेगा। ___ इस विषय में एक और दृष्टान्त है जिसके सम्बन्ध में कहा गया है कि
तथा चौरोऽन्यराज्ञीभिलेभे वस्त्राद्यलंकृतः । न रतिं लघुराइया तु, प्रदत्ताभयतो यथा ॥१॥
भावार्थ:-किसी चोर को छोटी रानी के दिये हुए अभयदान से जो सुख मिला वह सुख अन्य रानीयों को ( सेंकड़ो रुपये-पैसे खर्च करने पर भी) वस्त्रादिक से सुशोभित होने पर भी नहीं मिल सका । इसका दृष्टान्त निम्नस्थ है-- ___ वसन्तपुर का राजा अरिदमन एक बार अपनी चारों रानीयों के साथ महल के गवाक्ष में बैठा हुआ क्रीड़ा कर रहा था कि उन्होंने एक चोर को वधस्थान की ओर लेजाते हुए देखा । राणियोंने पूछा कि-"इसने क्या अपराध किया है ?" इसके उत्तर में एक राजसेवकने कहा कि-" इसने चोरी की है, अतः इसे वधस्थान की ओर ले जा रहे हैं।" यह सुन कर बड़ी रानीने राजा से कहा कि-" हे स्वामी ! मेरा तुम्हारे पास पूर्व का एक वरदान लेना अवशेष है,