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श्री उपदेशप्रासाद भाषान्तर :
ज्ञानादयस्त्रयः शास्त्रे, मोक्षोपायाः प्रकाशिताः । इति सम्यक्त्वरत्नस्य, षट्रस्थानानि विचिन्तयेत् ॥
भावार्थ:-शास्त्रों में ज्ञान, दर्शन और चारित्र ये तीन मोक्षप्राप्ति के उपाय बतलाये गये हैं । इस प्रकार समकितरूपी रत्न के छ स्थानों का चिन्तवन करना चाहिये । इस सम्बन्ध की पुष्टि में प्रभास गणधर का दृष्टान्त दिया जाता है।
प्रभासगणधर का प्रबन्ध राजगृह नगर में बल नामक ब्राह्मण रहता था। जिस. को अतिभद्रा नामक स्त्री और प्रभास नामक पुत्र था। उसके वेद, सांख्य, मीमांसा, न्याय, योगाचार आदि शास्त्रों में निपुण होने से अहंकार के मद से वह सम्पूर्ण जगत में अपने अतिरिक्त अन्य सबों को मूर्ख समझता था । ___ चम्पापुरी में सोम विप्र के यहां जब यज्ञ होने लगा तो उस में इन्द्रभूति आदि विद्वान गये हुए थे। वहां प्रभास भी गया । उस समय इन्द्रभूति आदि जो जो विप्र श्रीमहावीरस्वामी के पास गये उन्होंने सिंह को देख कर मृग के सदृश अपने अहंकार का त्याग कर प्रभु के चरणरूप मानस सरोवर में हंस बन कर रहना स्वीकार किया। यह सूचन लोगों के मुह से सुन कर प्रभास विचार करने लगा कि-"सचमुच साक्षात् ईश्वर ही ऐसा रूप धारण कर अपने धाम से