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व्याख्यान ४५ :
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उसने जिनेश्वरप्रणीत धर्म के तत्त्व को समझ कर श्रावकधर्म अंगीकार किया। इस प्रकार अनेकों प्राणियों को धर्म में स्थापन कर पद्मशेखर राजा स्वर्ग सिधारा ।
गुणवान आस्तिक पुरुषों को निर्मल अन्तःकरण से इस पद्मशेखर राजा के चरित्र को श्रवण कर जिनेश्वर के मत के विषय में शुभ आस्था (श्रद्धा) धारण करना चाहिये । इत्युपदेशप्रासादे तृतीयस्तंभे पंचचत्वारिंशत्तम
व्याख्यानम् ॥ ४५ ॥ ॥ इति तृतीयः स्तंभः ॥