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श्री उपदेशप्रासाद भाषान्तर :
है क्योंकि महादेव के मस्तक पर चन्द्र रेखा, केतकी और गंगा नदी ये तीनों मालारूप से विद्यमान हैं किन्तु इन में से निर्मलता के लिये जैसी गंगा नदी सुशोभित है वैसी चन्द्ररेखा या केतकी नहीं।
__ सुलसा चरित्र ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्रादिक से भरपूर तथा श्रीमंत लोगों से सुशोभित रमणिक राजगृह नगरी में श्रेणिक राजा के राजत्व काल में नाग सारथि नामक एक श्रावक रहेता था जिसके सुलसा नामक स्त्री थी। वह शीलादिक गुणों से युक्त थी किन्तु दैवयोग से उसके कोई सन्तान नहीं हुई। एक बार दूसरे के पुत्र को देख कर उसके पति नाग. सारथि को अत्यन्त खेद हुआ जिसको उनमना देख कर सुलसाने कहा कि-" हे स्वामी ! आप खेद न कीजिये, धर्म के आराधन से हमारा मनोरथ फलीभूत होगा"। इस प्रकार पति को शान्त कर सुलसा निरन्तर जिनेश्वर की त्रिकाल पूजा, ब्रह्मचर्यपालन और आचाम्ल (आयंबिल) करने लगी। ___एक बार शक्रेन्द्र ने अपनी सभा में सुलसा के सत्व की अत्यन्त प्रशंसा की जिसको सुन कर इन्द्र के सेनापति हरिणेगमेषीने उसकी परीक्षा करने के लिये दो साधुओं का रूप धारण कर सुलसा के पास जाकर कहा कि-" हे श्राविका !