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श्री उपदेशप्रासाद भाषान्तर :
हुई और वह शुद्ध श्राक्क धर्म का पालन करने लगा। फिर गुरु उपदेश से बड़े आडंबर के साथ राजाने सिद्धाचल की यात्रा की और उसको दिगम्बरियों के कब्जे से हटा कर फिर से श्वेताम्बर तीर्थ बनाया।
आम राजाने राज्य का न्याय से पालन कर नमस्कार मंत्र का ध्यान कर उत्तम धर्म की साधना की और कवियों की सभा में सूर्य समान गुरु भी आयुष्य को क्षय कर स्वर्ग सिधारे । यह कथा पूर्वसूरिद्वारा रचित चतुर्विंशतिप्रबंध में सविस्तर वर्णित है। ___ "किसी से बोधित न हो सके ऐसे आमराजा को प्रतिबोध देकर, कवितादिक गुणोंद्वारा ब्राह्मण वर्ग को पराजित कर विद्वानों में चक्रवर्ती बप्पभट्टीमरिने शासन की उन्नति कर स्वर्ग सुख प्राप्त किया ।"
इत्युपदेशप्रासादे तृतीयस्तंभे पंचत्रिंशत्तमं
व्याख्यानम् ॥ ३५ ॥