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व्याख्यान २५ :
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बैठ गया । गुरुने विचार किया कि-इसको मधुर वचन से बोध करना चाहिये । ऐसा विचार कर गुरुने उस से पूछा कि-हे वत्स ! क्या तू कामशास्त्र जानता है ? कमलने कहा कि-हे गुरु ! मैं क्या जानूं ? आप उसका सार बतलाईये । गुरुने कहा कि-हे कमल ! सुन, स्त्रियां चार प्रकार की होती है। पद्मिनी, हस्तिनी, चित्रणी और शंखनी । इन में से पद्मिनी सब से उत्तम कहलाती है और फिर दूसरी उससे नीची श्रेणी की, तीसरे उससे भी नीची श्रेणी की व चोथी सर्व से कनिष्ट कहलाती है। उनमें से पद्मिनी स्त्री का लक्षण निम्नस्थ है -
व्रजति मृदु सलीलं राजहंसीव तन्वी, त्रिवलीवलितमध्या हंसवाणी सुवेषा । मृदु शुचि लघु भुंक्त मानिनी गाढ़लज्जा, धवलकुसुमवासो वल्लभा पद्मिनी स्यात् ॥१॥ __भावार्थ:-पमिणी स्त्री राजहंस के सदृश मंद मंद लीला सहित गमन करती है, उसके कृश उदर पर त्रिवली पड़ी हुई होती है, उसकी वाणी हंस के सदृश मधुर होती है, उसका वेष सुन्दर होता है, वह शुद्ध एवं कोमल अन्न का अल्प आहार करती है, मानवाली और अति लजावाली होती है, तथा उसको श्वेत पुष्प के समान वस्त्र अधिक प्रिय होते हैं।