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श्री उपदेशप्रासाद भाषान्तर :
पुष्प मांगें। उसने इकवीश करोड़ पुष्प एकत्रित कर भेट किये जिनको लेकर सूरि हिमवान पर्वत पर पहुँचे । वहां लक्ष्मी देवीने बड़ा कमल प्रदान किया जिसको लेकर वहां से हुताशन यक्ष के वन में आते हुए उसने अनेकों पुष्प भेट किये । उन सर्व पुष्पों को लेकर पूर्व भव के मित्र जंभक देवद्वारा रचित विमान में बैठ कर सूरि आकाशमार्ग से वापस सुभिक्षापूरी में आगये और उन पुष्पों से महा उत्सव किया। जिनधर्म की प्रभावना हुई, जिसको देख कर आश्चर्य से भरा हुआ बौद्ध राजा भी श्रावक बना । ____ एक बार वज्रस्वामी के शरीर में कफ की व्याधि उत्पन्न हुई इसलिये भोजन के पश्चात् खाने के लिये उन्होने एक झूठ का टुकड़ा उनके कान पर रक्खा परन्तु भोजन करने के बाद वे उसको खाना भूल गये । वह टुकड़ा प्रतिक्रमण के समय कान से पृथ्वी पर गिरपड़ा। उसे देखकर "ऐसा असंभवित प्रमाद होने से अब मृत्युकाल समीप है" ऐसा निश्चय कर सूरिने अपने शिष्य वज्रसेन को सूरिपद देकर स्वयं रथावर्तगिरि पर चले गये जहां अनशन ग्रहण कर स्वर्ग सिधारे । ___श्री वज्रसेनसूरि विहार करते करते सोपारकपुर गये । वहाँ जिनदत्त नामक एक श्रावक रहता था। वहां दुष्काल के कारण धान्य इतना महंगा था कि दो चार मनुष्यों के लिये भी एक लक्ष द्रव्य का भोजन खर्च होता था। उस