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श्री उपदेशप्रासाद भाषान्तर : चढाई करेगी । यह सर्व वृत्तान्त सुन कर श्रेणिक राजा आश्चर्यचकित होकर प्रभु को वन्दना कर अपने स्थान को लोट गया।
इस ओर दुगंधा को देख कर श्रेणिक राजा समवसरण की ओर गया उसके पश्चात् उसका शरीर सुगन्धमय हो गया था । उस समय एक ग्वालिन उस ओर होकर निकली उसमें उस सुन्दर बालिका को मार्ग में पड़ी हुई देखकर उठा लिया और स्वयं संतति रहित होने से उसे अपने घर ले जाकर पुत्री तुल्य उसका पालन-पोषण कर बड़ा किया।
एक वार कौमुदी उत्सव के आने से नगर के सर्व लोग नगर से बहार उद्यान में क्रीड़ा करने निमित्त गये । श्रेणिक राजा भी स्त्रियों की क्रीड़ा देखने के लिये अभयकुमार को साथ ले कर उस अवसर पर वहां गये । दुगंधा भी उसकी मां के साथ उत्सव देखने को गई । उस समय की उसकी सुन्दरता का वर्णन करते हुए कहा गया है कि
श्यामा यौवनशालिनी सुवचना सौभाग्यभाग्योदया । कर्णान्तायतलोचना कृशकटी प्रागल्भ्यगर्वान्विता॥