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श्री उपदेशप्रासाद भाषान्तर : वह कामदेव की पूजा करने लगी। एक बार वह कुमारी चुप के पुष्प लेने के लिये उद्यान में गई । उद्यानरक्षकने उसे पुष्पों की चोरी करते हुए पकड़ लिया, किन्तु उसके अति सुन्दर स्वरूप को देख कर उद्यानपालक उस पर मोहित हो गया और उससे कामक्रीड़ा के लिये प्रार्थना की, इस पर वह कुमारी बोली कि-मैं अभी अविवाहिता हूँ, इससे स्पर्श करने अयोग्य हूँ। कहा भी है किअस्पृशा गोत्रजा वर्षाधिका प्रव्रजिता तथा । नाष्टौ गम्याः कुमारी च, मित्रराजगुरुस्त्रियः ॥१॥
भावार्थ:-अस्पृशा ( चांडाल आदि अस्पर्य जाति की), एक गोत्रवाली, बड़ी आयुवाली, दीक्षित, कुमारी, मित्र की स्त्री, राजा की स्त्री और गुरु की स्त्री-ये आठ प्रकार की स्त्रिये अगम्य हैं अर्थात् परपुरुषों का इनको स्पर्श करना ही अयोग्य है। ____ यह सुन कर माली ने उससे कहा कि जब तेरा विवाह हो तब तू प्रथम मेरे पास आना स्वीकार करे तो मैं इस समय तुझ को छोड़ शकता हूँ। यह शर्त मंजूर कर वह उस के घर लौट गई । कुछ दिन बाद उस कन्या का विवाह एक योग्य पति के साथ हो गया। प्रथम रात्रि को ही उसने एकान्त में उसके पति से माली के साथ किये हुए वादे का हाल कहा । यह सुन कर उसके पतिने विचार किया कि