________________
करने में कोई कोर कसर नहीं रखी, पर उसकी सासु नागिला क्रोधी, कुटिल और निष्ठुर स्वभाव वाली थी। इसलिये वह कुँए पर रहंट के निरंतर चलते रहने पर भी खट २ करने वाली लकड़ी की तरह खट खट किया करती थी। अकारण ही डांटना डपटना, बुरा भला कहना उसका नित्य कर्म होगया था। सच है वहुओं का जीवन बड़ा हो कष्टमय होता है :
शय्योत्पाटन-गेहमार्जन-पयः-पावित्र्य-चुल्ली-क्रिया, स्थाली-तालन-धान्य-पेषण, भिदा गोदोह-तन्मन्थने । डिम्भानां परिवेषणादि च तथा पात्रादि-शौच-क्रिया, श्व भर्तृ-ननान्त-देवृविनयः कष्टं वधूर्जीवति ।
शय्या उठाना, घर में झाडु लगाना, पानी भरना, चौका लगाना, रसोई बनाना, थालियां धोना, धान पीसना, गायें दोहना, बिलोणा करना, बच्चों को खिलाना पिलाना, बरतन मांजना, और सास पति ननंद एवं देवर आदि को सेवा तथा आज्ञा का पालन करना । इन कामों से ठीक बात है कि बेचारी बहुएँ बड़े कष्ट से संसार में जीती रहती हैं। . . - जिनेश्वर भगवान के बचनों में श्रद्धा रखने वाली वह सास के अत्याचारों से पीड़ित होने पर भी माता-पिता या पड़ौसी उसको कुशल पूछते तो वह यही कहती थी कि मैं सब तरह से सुखी हूं।