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मिच्छा मि दुक्कडं सुखसागर भगवान जिन-हरिपूज्येश्वर आप। परम-गुरु मेरा हरें, पाप-ताप मां-बाप !॥ श्री कवीन्द्र गुरु योग तें-बीकानेर मुठाम । इस सिरिचन्द चरित्र को-पूरा किया तमाम ।। पुण्य विवेक दयामयी-पूज्य दयागुरु पास । इन्द्रिय निधि निधि चन्द्रमित-वर्ष दीवाली खास ॥
बुद्धिश्री ने यह लिखा-है यह प्रथम प्रयास । . तपकर्ता तप साधकर-पावें आत्म प्रकाश ॥
ॐ तत्सत्-गुरूभ्यो नमः
विक्रम संवत् १९६५ को दीपावली के दिन बीकानेर में ____ पूज्य श्री दयाश्रीजी महाराज की अन्तेवासिनी ... साध्वी बुध्दिश्री ने श्रीचन्द्र चरित्र को
हिन्दी भाषा में लिखकर
पूर्ण किया ।
इति शुभम्
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