Book Title: Shreechandra Charitra
Author(s): Purvacharya
Publisher: Jinharisagarsuri Jain Gyanbhandar

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Page 483
________________ ( ४६३ ) गणधर श्रीगौतम स्वामीजी गणतंत्र के अध्यक्ष महाराजा चेटक प्रमुख श्रोताओं को लक्ष्य कर फरमाते ' सेणिय-निवस्स भणिय, रायगिहे भगवया परम-गुरुणा । यह सिरिचंदचरित्त', तह कहियं रायवर ! तुझ ।। . अर्थात्-राजगृह नगरमें परम गुरु भगवान श्री महावीरस्वामी ने राजा श्रेणिक को श्रीचन्द्र चरित्र फरमाया बैसे ही हेमहाराज चेटक ! आपको मैंने कथा रूप से कह सुनाया है। गणधर श्रीगौतमस्वामी के श्रीमुख से श्रीचन्द्र के चारू चरित्र को सुनकर राजा चेटक बड़े प्रभावित हुए और तपोधर्म की साधना के लिये दृढ-संकल्प किया । महाज्ञानी श्रीसिद्धर्षि महाराज आदि पूर्वाचार्य प्रणीत प्राकृत संस्कृत भाषा. निबद्ध श्रीचन्द्र चरित्र के आधार से आचाम्ल वर्द्धमान तप की महिमा को बताने वाला श्रीचन्द्र केवली चरित्र श्री परमगुरु की परमदया से हिन्दी में लिखने का प्रयास किया है । इसमें कुछ कमी की गई हो अथ च प्रसंगवश कहीं अधिकता आगई हो तो

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